निम्‍नवर्गीय और धर्मनिरपेक्षः कांग्रेस का 85वां अधिवेशन

कांग्रेस को अपने नए दृष्टिकोण के अनुरूप एक अभियान खड़ा करना होगा

Published - February 28, 2023 11:54 am IST

छत्तीसगढ़ के रायपुर में संपन्न हुए कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति को रेखांकित किया गया। इसके अलावा पार्टी के निर्वाचित अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्‍व में भरोसे को और पुष्‍ट किया गया। समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ काम करने की अपनी इच्छा स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करने के अलावा, कांग्रेस ने सामाजिक न्याय के एक तीव्र एजेंडे को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है जो पार्टी के लिहाज से एक बुनियादी बदलाव है। हालांकि पार्टी का एजेंडा हमेशा से ही कल्याणकारी रहा है, लेकिन वह निम्‍न वर्गों और जातियों की राजनीतिक आकांक्षाओं को समायोजित करने में विफल रही है, जिसके चलते इन तबकों ने अन्य दलों को इस मामले में अधिक उपयुक्त पाया। पार्टी ने सामाजिक न्याय पर एक अलग संकल्‍प को पारित किया है और वादा किया है कि वह सत्‍ता में आने पर निम्‍न काम करेगी: अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सशक्तिकरण के लिए एक समर्पित मंत्रालय का गठन, राष्ट्रीय सामाजिक न्याय परिषद का निर्माण, राष्ट्रीय आर्थिक सर्वेक्षण की तर्ज पर एक वार्षिक “सामाजिक न्याय की स्थिति” पर रिपोर्ट का प्रकाशन, एससी, एसटी और ओबीसी के लिए उच्च न्यायपालिका में आरक्षण और वंचित वर्गों के छात्रों के लिए रोहित वेमुला कानून का गठन। मंडल के बाद के दौर में क्षेत्रीय दलों से पिछड़ने के बाद पार्टी अब निचले तबके के लोगों को अपने पाले में लाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। शुरुआत के रूप में इसने एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए कांग्रेस कार्य समिति की आधी सीटें आरक्षित करने के लिए अपने संविधान में संशोधन किया है। आने वाले महीनों में रायपुर में लिए गए संकल्‍पों के पालन पर नजर रहेगी क्‍योंकि पिछले साल उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी ने ऐसी ही पवित्र घोषणाओं को लगभग तुरंत तिलांजलि दे दी थी।

पार्टी ने ‘संपूर्ण सामाजिक सुरक्षा’ का वादा किया है। यह एक ऐसा सामाजिक सुरक्षा ढांचा है जिसमें गरीबों के लिए न्यूनतम आय और सामाजिक सुरक्षा की कानूनी गारंटी होगी। यह सभी भारतीयों के लिए सार्वभौमिक पात्रताओं का भी वादा करता है, यानी न्यूनतम आय योजना (न्याय) के माध्यम से बुनियादी आय का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, एकल महिलाओं, बुजुर्गों और विकलांग व्यक्तियों के लिए पेंशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की तर्ज पर एक

समग्र एकीकृत बाल विकास योजना और गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक स्कूली शिक्षा व मातृत्व अधिकार। बढ़ती असमानताओं, बेरोजगारी और अल्परोजगार जैसी अन्य चुनौतियों को कम करने के लिए दुनिया भर में एक नए कल्याणकारी ढांचे पर बहस चल रही है। ऐसे में माना जा सकता है कि कांग्रेस के इन विचारों पर भारत में एक नई और सूचित बहस की शुरुआत होगी। पार्टी ने 2019 के आम चुनाव से पहले भी न्याय या सार्वभौमिक आय योजना पर भरोसा किया था, लेकिन उसे इसका कोई चुनावी लाभ नहीं मिला था। पार्टी को अब उम्मीद है कि सुनिश्चित आय के साथ बेहतर भविष्य का वादा, जो सामाजिक पहचान को भी संज्ञान में लेगा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हिंदुत्व का मुकाबला कर सकता है। इस तथ्य को स्वीकार करके कि असमानता केवल भौतिक नहीं होती और भेदभाव केवल धार्मिक आधार पर नहीं होते, कांग्रेस ने पूरी बहस को उस धर्मनिरपेक्ष-सांप्रदायिक द्वैध से परे ले जाने का काम किया है जो हाल के वर्षों में भाजपा के हित में काम करता रहा है। इस रणनीति को सफल बनाने के लिए कांग्रेस को अपनी चिर-परिचित सुस्‍ती त्‍याग कर नई सोच के अनुरूप एक मजबूत राजनीतिक अभियान खड़ा करना होगा।

This editorial has been translated from English, which can be read here.

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