राजनीतिक गठबंधन समय के साथ बदलने के लिए जाने जाते हैं – पुराने रिश्ते टूटते हैं और नये बनते हैं। लेकिन कांग्रेस और सीपीएम के मामले में यह भी देखा जाता है कि उनकी दोस्ती स्थान के हिसाब से बदलती है। उन्होंने इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों के रूप में पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, बिहार, राजस्थान, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में असाधारण दोस्ती बनायी है, लेकिन केरल में अपनी पागलपन भरी दुश्मनी का सार्वजनिक प्रदर्शन करना जारी रखा है। सीपीएम की पश्चिम बंगाल इकाई के शीर्ष नेताओं ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हिस्सा लिया। जिन राज्यों में दोनों पार्टियों के लिए मुश्किल भरा मैदान है वहां उनके बीच सीट साझेदारी का समझौता है। लेकिन केरल में उनके बीच तलवारें खिंची हुई हैं, जहां मुख्य चुनावी लड़ाई उनकी अगुवाई वाले संयुक्त मोर्चा और वाम मोर्चा के बीच है। इंडिया ब्लॉक का उद्देश्य भाजपा को बाहर रखना है, जो केरल में अब भी एक छोटी ताकत है। हालांकि, यह कांग्रेस और सीपीएम नेताओं द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ उगले गये उस जहर और कड़वाहट को समझा पाने में विफल है, जो भारत के दूसरे हिस्सों में उनके गठबंधन को प्रभावित कर रहा है। सीपीएम की केरल इकाई अब भी अपनी सांगठनिक और राजनीतिक मजबूती बनाये हुए है। वह भारत में कहीं भी कांग्रेस के साथ ताल-मेल बनाने को लेकर हमेशा से पूर्वाग्रह से ग्रस्त रही है। पार्टी ने पिछले साल सितंबर में ‘इंडिया’ की समन्वय समिति में अपना प्रतिनिधि नामित नहीं करने का फैसला किया था।
केरल में, कांग्रेस ने सहकारी बैंक मामले में सीपीएम और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के रिश्तेदार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का इस्तेमाल किया। इसके जरिए पार्टी और विजयन पर लगातार हमला किया गया। वहीं सीपीएम ने कांग्रेस की इस बात के लिए खिंचाई की कि वह अपने नेताओं को भाजपा में जाने से नहीं रोक पा रही है। सीपीआई की एनी राजा के खिलाफ, राहुल गांधी का दोबारा वायनाड से लड़ने का फैसला कांटों भरा साबित हुआ। इस बारे में सीपीएम का कहना है कि एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उन्हें भाजपा से भिड़ना चाहिए, न कि वाम मोर्चा से। पानी तब सिर के ऊपर चला गया जब राहुल गांधी ने विजयन पर यह आरोप लगाया कि वह भाजपा के साथ गुप्त समझौता करके ईडी की पूछताछ और गिरफ्तारी से बच रहे हैं। इस गैरजरूरी टिप्पणी ने मुसीबतों का पिटारा खोल दिया है। विजयन ने राहुल गांधी को इमरजेंसी के दौरान अपनी गिरफ्तारी की याद दिलायी, जबकि कुछ वाम नेताओं ने विजयन की उस एकजुटता का स्मरण कराया जो उन्होंने ईडी द्वारा राहुल गांधी से पूछताछ के समय प्रकट की थी। चूंकि कोई भी पक्ष दुश्मनी खत्म करने को तैयार नहीं दिख रहा है, एक-दूसरे पर वार ने इंडिया ब्लॉक के बीच चौड़ी होती दरार को सबके सामने ला दिया है। इन हालात में यह सवाल उठता है कि किसी को अपना ध्यान सबसे बड़े दुश्मन पर केंद्रित करना चाहिए या सबसे बदतरीन पर? भाजपा कांग्रेस और वाम दोनों को अपने वैचारिक दुश्मन के रूप में देखती है, लेकिन वह खामोशी के साथ तमाशबीन बनी रह सकती है क्योंकि केरल में दोनों एक-दूसरे को लहूलुहान कर रहे हैं।
Published - April 22, 2024 09:55 am IST