इस हफ्ते व्हाइट हाउस में, राष्ट्रपति जोसेफ बाइडेन ने यह बेसाख्ता टिप्पणी की कि उनका प्रशासन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के अनुरोध पर विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज के खिलाफ आरोप वापस लेने पर ‘विचार कर रहा’ है। इस टिप्पणी ने असांज के परिवार और समर्थकों में उम्मीद की लहर का संचार किया है। ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांज ब्रिटेन की बेलमार्श जेल में हैं और इस नुक्ते पर ब्रिटिश अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं कि क्या वह 2022 के प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ अपील कर सकते हैं जिसके तहत उन्हें अमेरिका भेजा जाना है ताकि वह अमेरिकी सरकार व राजनयिकों के केबलों [गुप्त संदेशों] के 2010 में प्रकाशन से जुड़े गंभीर आरोपों का सामना कर सकें। अदालत का आदेश 20 मई को आना है और उसने अमेरिका से यह आश्वासन मांगा है कि असांज को मौत की सजा का सामना नहीं करना होगा। हालांकि, बाइडेन से अल्बनीज की अपील उस फैसले को अनावश्यक बना सकती है। दरअसल 52 वर्षीय असांज, शरण की तलाश करते हुए और कैद में रहते हुए, पहले ही काफी सजा भुगत चुके हैं। उनके परिवार के मुताबिक, वह बहुत बीमार हैं और प्रत्यर्पित किये जाने को लेकर काफी परेशान हैं। असांज बलात्कार और हमले के लिए स्वीडिश वारंट का सामना कर चुके हैं। इन आरोपों से उन्होंने इनकार किया था और बाद में मामला वापस ले लिया गया था। अमेरिका में उनके खिलाफ 18 आरोप हैं जिनके तहत उन्हें कुल 175 साल की कैद हो सकती है। ये आरोप - जिनमें से 17 अमेरिका के एक सदी पुराने जासूसी कानून के तहत हैं - इराक और अफगानिस्तान युद्धों से जुड़े हजारों अमेरिकी दस्तावेजों के विकीलीक्स द्वारा प्रकाशन से संबंधित हैं। इनमें से कई दस्तावेजों ने अमेरिकी सेना के तौर-तरीकों की एक खराब तस्वीर पेश की और अमेरिकी सरकार की रणनीति को जगजाहिर किया।
इसमें कोई शक नहीं कि दस्तावेजों के भंडार को बारीकी से जांचे बिना ही प्रकाशित करने के असांज के निर्णय और विशिष्ट अमेरिकी अधिकारियों, कर्मचारियों, सैनिकों व नागरिकों के नामों के खुलासे ने कई जानों को जोखिम में डाल दिया। सरकारों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े राज़ रखने का हक है और एक वाजिब वजह से गोपनीयता का सम्मान किया जाता है। यह भी सच है कि, कई मामलों में, विकीलीक्स ने गुप्त दस्तावेज हाथ लगने पर आवश्यक जांच-परख के लिए मीडिया संगठनों से साझेदारी की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल वही उजागर हो जो जनहित में है। लेकिन किसी सचेत पत्रकारीय यत्न, जिससे इसे बेहतर बचाव हासिल हो सकता था, को परे रखकर ‘डेटा डंपिंग’ करने का भी कुछ पहलू इसमें था। हालांकि, अमेरिका के लिए यह समझाना कठिन है कि उसने प्रकाशक असांज पर ही क्यों हरसंभव आरोप मढ़ा है, लेकिन उनके स्रोत अमेरिकी सेना के खुफिया विश्लेषक चेल्सी मैनिंग पर नहीं। बाइडेन प्रशासन ने दुनियाभर में लोकतंत्र के संरक्षण को नीतिगत प्राथमिकता बनाया है। ‘व्हिसिल ब्लोअरों’, बोलने की आजादी के समर्थक कार्यकर्ताओं और सार्वजनिक जवाबदेही के समर्थक विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) के पीछे पड़ने के लिए दुनियाभर की सरकारों की निंदा करते हुए, उसका एक पारदर्शिता समर्थक कार्यकर्ता के खिलाफ अभियोजन जारी रखना विरोधाभासी लगता है। अतीत के किसी भी दौर से ज्यादा, अब अमेरिका असांज मामले में एक उदाहरण के जरिए यह दिखा सकता है कि वह लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं में यकीन रखता है, न कि अपनी सरकार के कामकाज के ढंग पर रोशनी डालने वाले “संदेशवाहक के कत्ल” में।
Published - April 13, 2024 10:21 am IST