उम्मीद की किरण: ट्वेंटी-20 में भारत का उतार – चढ़ाव भरा प्रदर्शन

भारतीय क्रिकेट टीम खेल के सबसे छोटे प्रारूप में उतार – चढ़ाव से गुजर रही है

September 28, 2022 01:21 pm | Updated 01:21 pm IST

ट्वेंटी-20 में भारत की डूबती – उतराती किस्मत हाल ही में मेहमान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदम से चमक उठी। हैदराबाद में रविवार की जीत ने रोहित शर्मा की अगुवाई में टीम को शुरू में पिछड़ने के बाद 2-1 से श्रृंखला पर कब्जा जमाने में मदद की। यह एक पुरसुकून नतीजा है, खासकर उन गंभीर परिस्थितियों में जिसमें यह टीम इस विशेष श्रृंखला में उतरी थी। ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी करने से पहले एशिया कप के फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहने वाली रोहित शर्मा की टीम को कई दिक्कतों से उबरना था। हालात और संगीन हो गए, जब ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा चोटिल होने और घुटने की सर्जरी के कारण इस श्रृंखला से बाहर हो गए। अब जबकि इस साल जल्द ही ऑस्ट्रेलिया में आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्व कप का आगाज होने वाला है, क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में व्यक्तिगत और टीम स्तर पर कोई भी चूक साजिश का हिस्सा करार दिए जाने के साथ - साथ आलोचनाओं के तीखे वार से घायल कर दिए जाने के लिए काफी है। चूंकि इस साल एम.एस. धोनी के नेतृत्व वाली टीम द्वारा पहले आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्व कप की जीत की पंद्रहवीं वर्षगांठ है, उस शानदार उपलब्धि और उसके बाद के खिताबी सूखे ने नीली जर्सी वाले खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ा दिया है। सन 2007 की उस विजेता टीम में से सिर्फ कप्तान रोहित और दिनेश कार्तिक ही अभी भी मौजूदा टीम का हिस्सा बने हुए हैं। यह न सिर्फ इन दोनों खिलाड़ियों की दीर्घकालिकता, बल्कि पिछले एक दशक में भारतीय टीम की बनावट में आए व्यापक बदलावों का भी सबूत है। और जब भारत मोहाली में ऐरन फिंच के खिलाड़ियों के हाथों तीन मैचों की श्रृंखला का पहला ट्वेंटी-20 मैच हारा, तो चिंता की लकीरें लंबी होना लाजिमी था।

भारत की गेंदबाजी, खासकर उसके तेज गेंदबाज अपना लय वापस पाने के लिए जूझते रहे। लेकिन हार्दिक पांड्या और सूर्यकुमार यादव ने जिस तरह से रन बटोरे, उससे कुछ उम्मीद जगी। फिर कारवां जब नागपुर पहुंचा, आसमान में काले बादल छा गए। आखिरकार मौसम थोड़ा सुधरा, तो आठ ओवरों का मुकाबला शुरू हुआ। इस छोट-मुकाबले में, भारत ने बराबरी हासिल की। रोहित समेत शीर्ष क्रम के तीन बल्लेबाजों और फिनिशर कार्तिक ने इस रोमांचक मुकाबले में सफलतापूर्वक लक्ष्य को पार कर लिया। कथित तौर पर युवाओं के इस खेल में, पुराने दिग्गज ही

छाए रहे। और हैदराबाद के आखिरी मुकाबले में, भारत ने घरेलू मैदान पर अपनी साख को फिर से कायम रखा और खेल पर पूरा नियंत्रण रखते हुए लक्ष्य को पार कर ऑस्ट्रेलियाई टीम को घुटने टेकने पर मजबूर किया। विराट कोहली के फॉर्म, यादव की दुस्साहस भरी बैटिंग और बाएं हाथ के स्पिनर अक्षर पटेल की निरंतरता ने एक अच्छी जीत दिलायी। जडेजा की खलती कमी की वजह से सारी नजरें जसप्रीत बुमराह की वापसी पर टिकी थीं। भले ही यह तेज गेंदबाज बेहतरीन लय में नहीं था, लेकिन ट्वेंटी-20 विश्व कप में उसके अपने प्रदर्शन में निखार ही आएगा। कैच टपकाना एक और ऐसी खामी है जिससे भारत अपनी खोई चमक वापस पाने की जद्दोजहद में फंस सकता है। फिंच की टीम अब वापस जा चुकी है, दक्षिण अफ्रीका की टीम तीन ट्वेंटी-20 और तीन एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला के लिए भारत में है। सीमित ओवर के मैचों के लिए तैयारी जारी है, क्योंकि अगले साल भारत में होने वाला एकदिवसीय विश्व कप एक और ऐसा खिताब है जिसे जीतने का दबाव भारतीय टीम पर होगा।

This editorial has been translated from English, which can be read here.

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