एक बनता हुआ संस्थान: सीडीएस की नियुक्ति का संदर्भ

सीडीएस के सभी सेनाध्यक्षों के साथ संबंधों को लेकर स्पष्टता की जरूरत

September 30, 2022 12:06 pm | Updated 12:06 pm IST

दिसंबर 2021 में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की असामयिक मौत के नौ महीने बाद सरकार ने बुधवार को सेना के पूर्वी कमान के 61 वर्षीय भूतपूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को अगले सीडीएस के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की। वह लगभग चार वर्षों तक इस पद पर रह सकते हैं। उनकी नियुक्ति अगले आदेश तक या उनके 65 वर्ष के होने तक के लिए है। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान सशस्त्र बलों में बदलाव और पुनर्गठन की रुकी हुई प्रक्रिया को आगे बढायेंगे और उस तालमेल को सुनिश्चित करेंगे जिसकी परिकल्पना इस पद के गठन के साथ की गई थी। नए नजरिए का एक महत्वाकांक्षी पहलू एकीकृत कमान के रूप में सशस्त्र बलों का प्रस्तावित पुनर्गठन है, जिसे लेकर अभी तक शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच आवश्यक सहमति नहीं बनी है। जब 2019 में सीडीएस का पद सृजित किया गया था, तो इसके कार्य के दायरे में पहले सीडीएस के पदभार ग्रहण करने के तीन साल के भीतर संचालन, रसद, परिवहन, प्रशिक्षण, सहयोगी सेवाओं, संचार, मरम्मत और रखरखाव के मामले में तीन सेवाओं की “संयुक्तता” सुनिश्चित करना था। जनरल रावत की मौत और उसके बाद उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति में हुई देरी से इस लक्ष्य को साधने में रुकावट आई। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने सैन्य अभियानों के महानिदेशक सहित विभिन्न कमान, स्टाफ और महत्वपूर्ण नियुक्तियों के दौरान अपनी सेवाएं दीं हैं। उनसे काफी उम्मीदें हैं और उनके अनुभवों का लाभ मिलने की अपेक्षा है।

इस नियुक्ति में लगे नौ महीने और इसकी पात्रता संबंधी मानदंडों में किए गए बदलाव इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि सीडीएस अभी भी एक उभरता हुआ संस्थान ही है। सीडीएस के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य उम्मीदवारों का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से किए गए मनमाने बदलावों ने इस उभरते हुए पद की गरिमा को कम कर दिया है। वर्ष 2019 में, रक्षा मंत्रालय को पुनर्गठित किया गया था और सैन्य मामलों का एक नया विभाग सृजित कर सीडीएस को उसका सचिव बनाया गया था। हालांकि, इस पुनर्गठन से रक्षा मंत्रालय में दायित्वों एवं भूमिकाओं के संदर्भ में स्पष्टता सुनिश्चित नहीं हुई। सीडीएस रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार और ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के स्थायी अध्यक्ष भी हैं, जिसके लिए उन्हें विभिन्न प्रशासनिक और संचालनात्मक दायित्वों का निर्वाह करने की जरूरत होती है। लिहाजा, सीडीएस के दायित्वों के बारे में अधिक स्पष्टता की दरकार है। खासतौर पर, संचालनात्मक भूमिकाओं और प्रशासनिक कर्तव्यों के संदर्भ में तीनों सेनाओं के अध्यक्षों के साथ उनके संबंध को लेकर। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान द्वारा जहां मुख्य रूप से समन्वय की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है, वहीं विशेष रूप से कठिन आर्थिक परिदृश्य के मद्देनजर उनके कंधों पर वित्तीय चतुराई बरतने और रक्षा बजट का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने जैसी अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी होंगी। यूक्रेन युद्ध ने भविष्य की लड़ाइयों के लिए कारगर ढंग से तैयार होने के लिए रक्षा उत्पादन और रसद आपूर्ति की सुदृढ़ श्रृंखलाओं के मामले में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने के प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत को भी रेखांकित किया है।

This editorial has been translated from English, which can be read here.

To read this editorial in Tamil, click here.

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