तेल पर कोई रोक नहीं: वेनेजुएला के राजनीतिक संकट का संदर्भ

मादुरो को पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंध सुधारने चाहिए और विपक्ष के साथ बातचीत करनी चाहिए

November 30, 2022 11:58 am | Updated December 30, 2022 04:31 am IST

वेनेजुएला पर लगाए गए प्रतिबंधों को ढीला करने और शेवरॉन को अपने संयुक्त उद्यम वाले तेल क्षेत्रों में वापस लौटने की इजाजत देने के बाइडेन प्रशासन के फैसले के साथ ही राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को हटाने के मकसद से वाशिंगटन द्वारा चलाए जा रहे अधिकतम दबाव वाले अभियान का अंत हो गया। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार वाले इस दक्षिण अमेरिकी देश में तेल कंपनियों को अपना कारोबार चलाने की मनाही करके और स्व-घोषित अनिर्वाचित कार्यवाहक राष्ट्रपति जुआन गुएदो को मान्यता देकर अमेरिकी प्रतिबंधों को चरम पर ले गए थे। दबाव की इस नीति का वेनेजुएला के राजनीतिक संकट पर दो वजहों से बेहद कम असर पड़ा: पहला, श्री गुएदो बोलिवारियाई जमीनी आंदोलन से ताकत पाने वाले श्री मादुरो के शासन को हिलाने के लिए पर्याप्त राजनीतिक ताकत जुटाने में कभी कामयाब नहीं हो पाए। और फिर, मादुरो प्रशासन ने अपने भारी कच्चे तेल को चीन और अन्य देशों को रियायती कीमत पर बेचकर इन प्रतिबंधों से पार पाने का एक रास्ता खोज लिया। बाइडेन प्रशासन अपने शुरुआती दिनों में ट्रम्प की लीक पर ही चला, लेकिन यूक्रेन पर रूसी हमले के कुछ हफ्तों बाद उसने मार्च में वेनेजुएला के साथ बातचीत शुरू कर दी। अमेरिका का आधिकारिक बयान भले ही यह है कि प्रतिबंधों को ढीला करने का फैसला वेनेजुएला के भीतर राजनीतिक सुलह की एक बड़ी प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन इस ढील का असली उत्प्रेरक यूक्रेन और ऊर्जा संकट जान पड़ता है। रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों ने कीमतों में इजाफा कर दिया है। उधर, ईरान परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने की श्री बाइडेन की कोशिश अब तक कामयाब नहीं हो पाई है। सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों द्वारा तेल का उत्पादन कम करने के कदम से भी कीमतों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। लिहाजा बाजार में और अधिक मात्रा में तेल उपलब्ध कराने का एकमात्र विकल्प अब वेनेजुएला को कारोबार करने की इजाजत देना है।

निश्चित रूप से, प्रतिबंधों में यह ढील कई शर्तों के साथ आई है। शेवरॉन वेनेजुएला में अपने कुओं से तेल का उत्पादन तो कर सकता है, लेकिन वह तेल सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका को ही निर्यात किया जाएगा। इसके अलावा, इस बिक्री से होने वाली आमदनी का इस्तेमाल वेनेज़ुएला

की सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनी पीडीवीएसए के शेवरॉन (लगभग 4.2 बिलियन डॉलर) के ऋण का भुगतान करने के लिए किया जाएगा और कारोबार के लाइसेंस को किसी भी समय रद्द किया जा सकता है। फिर भी, श्री मादुरो अमेरिका द्वारा साफ तौर पर पलटी मारने की इस कवायद में अपनी जीत का दावा कर सकते हैं। उन्होंने विपक्ष के साथ बातचीत शुरू करने की पेशकश की है, लेकिन इससे आगे कोई बड़ी रियायत नहीं दी है। अमेरिका का यह कदम यूरोपीय देशों को भी काराकास के प्रति अपनी नीति पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है। विदेशी कंपनियों के लौट आने से वेनेजुएला को अपना तेल उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। ऐसा लगता है कि श्री मादुरो पश्चिमी देशों द्वारा उन्हें अलग-थलग करने के प्रयासों से बच निकलने में कामयाब हो गए हैं, लेकिन उनके सामने इससे कहीं बड़ी चुनौती घरेलू झंझावात से पार पाना है। यह ढील उनके लिए एक मौका है। उन्हें इसका पूरा फायदा उठाते हुए आंशिक तौर पर उनकी अपनी नीतियों की वजह से वेनेज़ुएला की अर्थव्यवस्था में आई अहम विफलताओं को दूर करना चाहिए, पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंध सुधारने चाहिए और पूरी गंभीरता से विपक्ष के साथ वार्ता में शिरकत करनी चाहिए।

This editorial has been translated from English, which can be read here.

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