जोखिम भरा आधार: एशियाई विकास बैंक का पूर्वानुमान, भारत की जीडीपी में वृद्धि

नीति निर्माताओं को निर्यात को बढ़ावा देने के लिए व्यापार के नियमों को सरल बनाना होगा

Updated - April 13, 2024 10:18 am IST

Published - April 13, 2024 10:17 am IST

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने गुरुवार को ठोस सार्वजनिक व निजी निवेश के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के चलते उपभोक्ता मांग में क्रमिक बेहतरी की उम्मीदों का हवाला देते हुए 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में वृद्धि के अनुमान को 6.7 फीसदी से बढ़ाकर सात फीसदी कर दिया। इस क्षेत्रीय बहुपक्षीय ऋणदाता ने यह भी अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था 7.2 फीसदी तक बढ़ेगी। हालांकि, भारत की जीडीपी में बढ़ोतरी का एडीबी का ताजा पूर्वानुमान अभी भी भारत के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा 31 मार्च को समाप्त हुए 12 महीनों के लिए लगाये गए 7.6 फीसदी के अनुमान के मुकाबले धीमा ही है। पिछले साल का विस्तार भी मजबूत निवेश से प्रेरित था, जबकि उपभोग कम रहा था। हालांकि, एडीबी ने आगाह किया है कि तेल की कीमतों में तेज उछाल या मुद्रास्फीति से निपटने के लिए पश्चिम में लंबे समय तक जारी रहने वाले उच्च ब्याज दरों सहित विभिन्न वैश्विक जोखिमों की वजह से उसका पूर्वानुमान गलत भी साबित हो सकता है। इसने अनुमान लगाया है कि पश्चिमी ब्याज दरों के प्रति रुपये के अपेक्षाकृत ज्यादा संवेदनशील होने की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था उच्च ब्याज दरों से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली एशियाई अर्थव्यवस्था होगी। एडीबी के अनुमान में यह भी कहा गया है कि जब केंद्र का पूंजीगत व्यय मजबूत था तथा बढ़ते बजटीय आवंटन के साथ इसमें और बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया था, निजी क्षेत्र में परियोजनाओं के पूरा होने की रफ्तार बढ़ती परियोजना संबंधी घोषणाओं के साथ मेल खाने में विफल रही थी। हालांकि, एडीबी की इस रिपोर्ट में भारत के राष्ट्रीय आय के आंकड़ों की विश्वसनीयता से जुड़े विवादों या अंतिम जीडीपी पर सरकारी कर प्राप्तियों के भारी प्रभाव के बारे में उठाई गई चिंताओं पर किसी भी किस्म की टिप्पणी सिरे से ही नदारद है।

यह ऋणदाता भारत में खासकर कोविड-19 महामारी के बाद से महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधारों के अभाव का जिक्र करने में भी विफल रहा। सरकार द्वारा बताए गए मजबूत विकास के आंकड़ों पर सवाल उठाए जाने की एक वजह यह है कि ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब आर्थिक सुधार पीछे रह गए हैं। वर्ष 2024-25 के विकास के अपने अनुमान का समर्थन करने के लिए उपभोक्ता खर्च में संभावित उछाल की एडीबी की धारणा के भी कमजोर पड़ने का खतरा है। वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के जोखिम के बारे में अनुसंधान करने वाली फर्म बीएमआई ने हाल ही में विस्तारित घरेलू बचत, जो अब तक के सबसे निचले स्तर के करीब है, से होने वाले उपभोग व्यय के जोखिम को चिन्हित किया है। बहरहाल, निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आसान नीतिगत माहौल के साथ-साथ बड़े पैमाने पर विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने के एडीबी के सुझाव पर गौर करना केंद्र के लिए अच्छा रहेगा। पश्चिम एशिया में जारी बेहद ही नाजुक हालातों और लाल सागर से गुजरने वाले सामान्य पूर्व-पश्चिम नौवहन मार्ग में व्यवधान सहित इस ऋणदाता द्वारा बताई गई वैश्विक व्यापार की विभिन्न चुनौतियों के मद्देनजर, भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ बेहतर समन्वय बनाने और अपने संचालन एवं क्रियान्वयन (लॉजिस्टिक्स) से संबंधित बुनियादी ढांचे में सुधार करने से जुड़ी एडीबी की सिफारिशों पर ध्यान देना चाहिए।

0 / 0
Sign in to unlock member-only benefits!
  • Access 10 free stories every month
  • Save stories to read later
  • Access to comment on every story
  • Sign-up/manage your newsletter subscriptions with a single click
  • Get notified by email for early access to discounts & offers on our products
Sign in

Comments

Comments have to be in English, and in full sentences. They cannot be abusive or personal. Please abide by our community guidelines for posting your comments.

We have migrated to a new commenting platform. If you are already a registered user of The Hindu and logged in, you may continue to engage with our articles. If you do not have an account please register and login to post comments. Users can access their older comments by logging into their accounts on Vuukle.