यूरोप में धुर दक्षिणपंथी ताकतें, सत्ता के खिलाफ जनता की नाराजगी का फायदा उठा रही हैं
यूक्रेन पर रूस के हमले और इसके जवाब में मॉस्को पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाई गई आर्थिक पाबंदियों की वजह से आसमान छूती ऊर्जा कीमतों के बीच, रविवार को इटली में हुए संसदीय चुनाव को सरकार-विरोधी धुर दक्षिणपंथियों को सत्ता से दूर रखने के यूरोप के संकल्प की पहली बड़ी परीक्षा तौर के पर देखा जा रहा है। हालांकि, चुनावी नतीजों में जॉर्जिया मलोनी की ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। इससे यह साफ पता चल रहा है कि इस महादेश में धुर दक्षिणपंथी ताकतें अभी उभार पर है और वे सरकार विरोधी नाराजगी को अपने पक्ष में भुना रही है। अप्रैल में हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनाव में, मरी ला पेन ने लगभग 41.5 फीसदी वोट हासिल किया, जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस देश में धुर दक्षिणपंथियों का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। इस महीने की शुरुआत में स्वीडन में हुए आम चुनावों में सोशल डेमोक्रेटिक प्रधानमंत्री मैग्डलेना एंडरसन की सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा और धुर दक्षिणपंथी स्वीडन डेमोक्रेट्स दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरकर सामने आई। इटली में नव-फासीवादी मूल की पार्टी अगली सरकार बनाने जा रही है। सन 1945 में फासीवादी तानाशाह बेनिटो मुसोलनी के पतन के बाद इस देश में यह सबसे धुर दक्षिणपंथी सरकार होगी। अधिकांश वोटों की गिनती के बाद ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ को संसद के दोनों सदनों में करीब 26 फीसदी वोट मिले हैं। सुश्री मलोनी के गठबंधन को 44 फीसदी के आस-पास वोट मिले। इस गठबंधन में मटियो साल्विनी की पार्टी ‘लीग ऑफ साल्विनी प्रीमियर’ और सल्वियो बर्लुस्कोनी की फोर्जा इटैलिया शामिल हैं।
ब्रदर्स ऑफ इटली को अपने प्रवासी विरोधी, कठोर राष्ट्रवादी, संरक्षणवादी और यूरोपियन यूनियन की बढ़ती शक्ति की विरोधी के तौर पर जाना जाता है। वर्ष 2014 में पार्टी की बागडोर संभालने वाली सुश्री मलोनी ने नव-फासीवादी विचारों को थोड़ा शिथिल करते हुए, सामाजिक रुढिवाद और आर्थिक कल्याणवाद के मिश्रण वाले ज्यादा लोकलुभावन नीति अपनाई थी। विशेषज्ञता पर जोर देने वाली मारियो द्रागी की निवर्तमान सरकार में शामिल नहीं होने के उनके फैसले से भी पार्टी की संभावनाओं को मजबूत करने में मदद मिली। जिस वक्त वाम से लेकर दक्षिण तक ज्यादातर मुख्य पार्टियों ने स्थिरता के नाम पर मारियो द्रागी की कारोबार-समर्थक, ब्रसल्स-समर्थक सरकार को समर्थन दिया, उस वक्त ब्रदर्स ऑफ इटली विपक्ष की इकलौती पार्टी बनकर रही। जब द्रागी सरकार, महंगाई संकट और आंतरिक फूट से घिरी और देश चुनाव के दौर में पहुंचा, तो सुश्री मलोनी को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिला। इटली की आर्थिक समस्याओं,
गठबंधन के भीतर की फूट और उक्रेन मसला समेत विदेश नीति की चुनौतियों को देखते हुए, अगर कहें तो उनके लिए आगे की राह आसान नहीं होने वाली है। लेकिन, ‘ब्रदर्स’ की जीत के बाद यूरोप के सभी राजधानियों में खतरे की घंटी बजनी चाहिए। आर्थिक मंदी की चपेट में अभी और भी यूरोपीय देश आ सकते हैं। सर्दियों में ऊर्जा संकट और भी बदतर होने के आसार हैं और यूक्रेन युद्ध का कोई अंत अभी नजर नहीं आ रहा है। अगर यूरोप की सत्ताधारी पार्टियां और सरकारें आसन्न आर्थिक संकटों को रोकने और बढ़ते असंतोष को दूर करने में विफल रहती हैं, तो धुर दक्षिणपंथी इस राजनीतिक माहौल का फायदा उठाना जारी रखेंगे।
This editorial has been translated from English, which can be read here.