महामारी शुरू होने के तीन साल से अधिक समय के बाद नए वेरिएंट, मामलों में वृद्धि, अस्पताल में भर्ती होने और यहां तक कि दुनिया भर से मौतों की सूचनाएं आ रही हैं। हालांकि, हालात पहले जैसे खतरनाक स्तर से कोसों दूर हैं। कप्पा, डेल्टा, बीए.2.75, और बीए.2.76 के बाद, इस श्रृंखला में ओमिक्रॉन एक्सबीबी.1.16 नाम का ताजा वेरिएंट (पहली बार भारत में पाया गया) है। लगभग एक दर्जन राज्यों में मामलों में बहुत कम मात्रा में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन सेहत के लिहाज से कमजोर माने जाने वाले लोगों के भी अस्पताल में भर्ती होने के मामले में कोई सहवर्ती वृद्धि नहीं हुई है। यह इस बात का संकेत है कि संक्रमित लोगों में बीमारी की गंभीरता को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। इस महीने अनुक्रमित (सीक्वेंस) किए गए सभी जीनोम में इस वेरिएंट की हिस्सेदारी 30 फीसदी से अधिक है और इसका अनुपात बढ़ रहा है। यह तथ्य पिछले कुछ हफ्तों में समुदाय में इस वेरिएंट के प्रसार और प्रभुत्व को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है। भारत में पिछले कई महीनों के दौरान दैनिक ताजा संक्रमण के रिकॉर्ड स्तर पर नीचे रहने से जांच और जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग) में तेजी से गिरावट आई थी। साप्ताहिक आधार पर जांच में पॉजिटिव पाए जाने की दर एक फीसदी से नीचे रही है। लिहाजा, इस वेरिएंट के प्रसार की सही तस्वीर साफ नहीं है। इसी पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अधिकारियों को नए वेरिएंट तथा अन्य उभर सकने वाले वेरिएंट का पता लगाने के उद्देश्य से संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण को बढ़ाने का निर्देश दिया ताकि देश वक़्त रहते कार्रवाई करने के लिए तैयार हो सके। चूंकि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, जीनोम अनुक्रमण जारी रखने की मजबूरी के बारे में बहुत ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है। वरना, कहीं ऐसा न हो कि भारत महामारी के तूफान में फिर से घिर जाए।
अधिकांश वयस्कों और यहां तक कि किशोरों द्वारा कम से कम एक साल पहले अपनी दूसरी खुराक ले लेने और बहुत कम संख्या में लोगों द्वारा बूस्टर का विकल्प चुनने के मद्देनजर भारत विस्तारित सुरक्षा के लिए पूरी तरह से टीकाकरण और प्राकृतिक संक्रमण के मेल से पैदा होने वाली संकर प्रतिरक्षा (हाइब्रिड इम्युनिटी) के भरोसे है। खुशकिस्मती से, संकर प्रतिरक्षा से लैस 12 साल से ऊपर की भारत की अनुमानित 95 फीसदी आबादी पिछले साल कुछ ओमिक्रॉन वेरिएंटों की वजह से मामलों में हुई बढ़ोतरी के दौर से लोगों को कोविड-19 की गंभीर बीमारी सेबचाती आ रही है। दरअसल, बीए.2 के बाद उभरे किसी भी वेरिएंट की वजह से हुए दोबारा संक्रमण ने प्रतिरक्षा सुरक्षा में इजाफा कर दिया है। समय-समय पर फिर से संक्रमित होने वाले लोगों के एक छोटे प्रतिशत ने संभावित रूप से आबादी के स्तर पर अलग-अलग स्तर की प्रतिरक्षा का प्रसार कर दिया है। नतीजतन आबादी का एक छोटा उपसमूह ही सेहत के लिहाज से कमजोर रह गया है। लेकिन लंबे समय तक कोविड से पीड़ित हो सकने के जोखिम वाले लोगों, विशेष रूप से सेहत के लिहाज से कमजोर समूहों, के लिए इस नए वेरिएंट के सामने आने के बाद बंद जगह वाले वातावरण में मास्क पहनने जैसी बुनियादी सावधानियों का पालन करना विवेकपूर्ण होगा। भारत में इस वक़्त कम हवादार स्थानों में भी सबको मास्क लगाना स्वास्थ्य की दृष्टि से भले ही जरूरी न हो, लेकिन सेहत के लिहाज से कमजोर समूहों से संबंधित लोगों को इस दिशा में सक्रिय और सतर्क रहना चाहिए।
This editorial has been translated from English, which can be read here.