मिले – जुले संकेत : जीडीपी के ताजा आधिकारिक अनुमान

मुद्रास्फीति के बावजूद, वास्तविक अर्थव्यवस्था के लिए ऋण की स्थिति सहायक बनी रहनी चाहिए

Published - December 02, 2022 11:52 am IST

जीडीपी के ताजा आधिकारिक अनुमान जुलाई-सितंबर की अवधि में अर्थव्यवस्था के विस्तार में गिरावट, साल-दर-साल आधार पर इसके नीचे की ओर लुढ़कने, विनिर्माण एवं खनन के क्षेत्र में सिलसिलेवार संकुचन और निजी उपभोग व्यय एवं सरकारी खर्च में व्यापक मंदी को दर्शाते हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में साल-पूर्व की अवधि से 6.3 फीसदी की दर से बढ़ोतरी होने का अनुमान है, जोकि पहली तिमाही में दर्ज किए गए 13.5 फीसदी के विस्तार और जुलाई-सितंबर 2021 की 8.4 फीसदी की गति की तुलना में तेज गिरावट है। सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) पक्ष में, आठ क्षेत्रों में से केवल तीन - कृषि; सर्वव्यापी गहन संपर्क वाले व्यापार, होटल, परिवहन एवं संचार के सेवा क्षेत्र; और रियल्टी एवं पेशेवर सेवाओं वाले वित्तीय क्षेत्र — ने साल-दर-साल विकास में तेजी दर्ज की। और कृषि; बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य उपयोगिता सेवाएं; और निर्माण सहित पांच क्षेत्रों ने सिलसिलेवार संकुचन दर्ज किया जो वैश्विक मंदी, यूक्रेन में युद्ध और लगातार उच्च घरेलू मुद्रास्फीति की सम्मिलित वजह से पैदा हुई अनिश्चितता को दर्शाता है। व्यय के मोर्चे पर, थोक निजी उपभोग व्यय और सरकारी व्यय दोनों में बढ़ोतरी काफी धीमी हो गई है। थोक निजी उपभोग व्यय में जहां पहली तिमाही की 25.9 फीसदी की वृद्धि की तुलना में साल-दर-साल आधार पर 9.7 फीसदी की दर से विस्तार हुआ, वहीं सरकारी व्यय में अप्रैल- जून की अवधि में 1.3 फीसदी की दर से विस्तार के बाद उसमें 4.4 फीसदी की सिकुड़न आ गई। हालांकि, सिलसिलेवार तरीके से, निजी उपभोग ने त्योहार-आधारित थोड़े उभार का संकेत दिया क्योंकि इसने अस्थायी रूप से एक फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की और सकल निश्चित पूंजी निर्माण में 3.4 फीसदी की तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि ने निजी व्यवसायों की ओर से निवेश करने की बढ़ती इच्छा की ओर इशारा किया।

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने जोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण आए व्यवधान से अर्थव्यवस्था के उबरने की प्रक्रिया अच्छी तरह से चल रही है और विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद यह देश को पटरी पर रखते हुए इस वित्तीय वर्ष में 6.8 फीसदी से लेकर सात फीसदी की वृद्धि हासिल करने की राह पर है। फिर भी आंकड़ों की

परिवर्तनशीलता और संशोधन, जिसकी हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक शीर्ष नीति निर्माता ने आलोचना की है, से उत्पन्न चुनौती एक महत्वपूर्ण तत्व है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और यह ताजा जीडीपी अनुमानों में ‘विसंगतियों’ की प्रविष्टि के पिछली नौ-तिमाही में 2.9 फीसदी के सबसे ऊंचे स्तर पर रहने के तथ्य से सबसे अच्छी तरह रेखांकित होता है। इसके अलावा, अक्टूबर माह के बुनियादी क्षेत्र (कोर सेक्टर) के आधिकारिक आंकड़े सीमेंट, कोयला, उर्वरक, बिजली और रिफाइनरी उत्पाद सहित आठ प्रमुख उद्योगों के संयुक्त उत्पादन को बढ़ोतरी के लिए जद्दोजहद करते दिखा रहे हैं। हमारे नीति निर्माता इस मुकाम पर ढिलाई बरतने का जोखिम नहीं उठा सकते क्योंकि वे विकास को कुंद करने वाली मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए जूझ रहे हैं और उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वास्तविक अर्थव्यवस्था के लिए ऋण की स्थिति सहायक बनी रहे।

This editorial has been translated from English, which can be read here.

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