संकट में पेरू: दक्षिण अमेरिकी देश में राजनीतिक संकट

सरकार और विपक्ष को नए चुनाव के लिए जल्दी ही किसी तारीख पर समहत होना चाहिए

January 13, 2023 11:56 am | Updated 11:56 am IST

सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच सोमवार को 17 नागरिकों और एक पुलिस अधिकारी की मौत के साथ, पेरू में महीने भर से चल रहे राजनीतिक संकट ने अब खून-खराबे की हदें पार कर ली है। इससे हिंसा और ज्यादा भड़क सकती है। यह घटना न सिर्फ विरोध प्रदर्शनों से निपटने में देश के सुरक्षाकर्मियों की बर्बरता को दिखाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि राष्ट्रपति डीना बोलुआर्टे और उनके पूर्ववर्ती पेड्रो कैस्टिलो, सत्ता में रहने के दौरान देश को एकजुट और स्थिर रखने में नाकाम रहे। यह संकट श्री कैस्टिलो और कांग्रेस के बीच शक्ति संघर्ष का नतीजा है। पूर्व स्कूल शिक्षक और मजदूर यूनियन में रह चुके श्री कैस्टिलो को 2021 में इस वादे के आधार पर राष्ट्रपति चुना गया था कि वे राजनीतिक स्थिरता लाएंगे, भ्रष्टाचार पर नकेल कसेंगे और आर्थिक असमानता को दूर करेंगे। हालांकि, प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव के अभाव की वजह से श्री कैस्टिलो, पेरू के राजनीतिक चक्रव्यूह को भेद नहीं पाए। जैसे ही उन्होंने प्रशासन पर मजबूत पकड़ बनानी शुरू की, घबराई कांग्रेस और अमीर वर्ग उनके खिलाफ खड़े हो गए। भ्रष्टाचार, घोटाले और आपराधिक गिरोह के साथ कथित संबंधों के आरोपों ने लीमा में श्री कैस्टिलो की स्थिति कमजोर कर दी। कांग्रेस में उन्हें पद से हटाने के लिए दो बार मतदान हुए, लेकिन पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने की वजह से ऐसा हो नहीं सका। तीसरी दफा मतदान दिसंबर में होना था, लेकिन श्री कैस्टिलो ने चौंकाने वाला फैसला सुनाते हुए कांग्रेस को भंग करने का ऐलान किया। इसके बाद उन पर महाभियोग चालू हो गया।

फिलहाल जेल में बंद श्री कैस्टिलो को जहां संसद भंग करने के नतीजों का सही आकलन नहीं था, वहीं उनके उत्तराधिकारी और सांसद, गरीब तबकों के भीतर उनके प्रति समर्थन का अंदाजा नहीं लगा सके। पेरू में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गया और प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि या तो श्री कैस्टिलो की पुनर्बहाली हो या फिर जल्दी चुनाव कराए जाए। श्री कैस्टिलो ने सुश्री बोलुआर्टे को “पद हड़पने वाला” व्यक्ति करार दिया। वहीं, उनके समर्थकों का कहना है कि जिस राष्ट्रपति को उन्होंने चुना था उन्हें अपना वैध कार्यकाल पूरा करने नहीं दिया गया, जो कायदे से 2026 में खत्म होना था। जबसे श्री कैस्टिलो को पद से हटाया गया, तबसे भड़के विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 47 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे। भारी दबाव के बीच अब सुश्री बोलुआर्टे ने अप्रैल 2024 तक चुनाव कराने का वादा किया है, जिस पर कांग्रेस का अनुमोदन अभी लंबित है। लेकिन, श्री कैस्टिलो और उनके समर्थकों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

इसके बाद, देश में अव्यवस्था फैल गई। मौजूदा संकट में दोनों पक्षों का हाथ है और इसका समाधान निकालने के लिए दोनों को साथ आना चाहिए। हो सकता है कि श्री कैस्टिलो की बहाली व्यावहारिक और संवैधानिक रूप से संभव न हो, लेकिन सुश्री बोलुआर्ट की सरकार को शांति बहाली की खातिर उन्हें जेल से रिहा कर देना चाहिए। मौजूदा गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार, विपक्ष और कांग्रेस को जल्द से जल्द चुनाव की संभावित तारीख पर रजामंद होना चाहिए। पेरू के राजनीतिक वर्ग को व्यापक संवैधानिक सुधारों के लिए भी तैयार रहना चाहिए, ताकि राष्ट्रपति और विधायिका को बिना किसी तकरार के काम करने का मौका मिल सके।

This editorial has been translated from English, which can be read here.

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