जर्मनी की विदेश मंत्री एनालीना बेरबोक के भारत दौरे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ हुई उनकी वार्ता ने दोनों देशों के बीच ज्यादा गर्मजोशी भरे द्विपक्षीय रिश्ते की जमीन तैयार कर दी है। दोनो देशों ने छात्रों, शोधार्थियों, निवेशकों और कारोबारियों के हित प्रवासन और आवाजाही से संबंधित एक समझौते पर दस्तखत किए। इससे पहले जर्मनी ने एक अरब यूरो की रकम वाली अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी देने का समझौता भी किया। दोनो देशों के बीच 2022 में संलग्नता काफी बढ़ी हुई दिखती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जर्मनी की दो यात्राएं की हैं। एक यात्रा भारत-जर्मनी अंतरसरकारी वार्ता के लिए थी जिसके तहत बर्लिन में चांसलर ओलफ शुल्ज से मुलाकात हुई और दूसरी यात्रा बवेरिया में समूह सात के देशों की बैठक के लिए थी। इसके अलावा दोनो नेता बाली में जी-20 की बैठक में भी मिले थे। माना जा रहा है की शुल्ज़ अगले वसंत में दिल्ली आएंगे, फिर सितंबर में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए दोबारा आएंगे। बहुपक्षीय स्तर पर देखें तो जर्मन एलायंस 90/ग्रीन पार्टी की नेता सुश्री बेरबोक ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने को एक अहम मुद्दा माना है जहां भारत और जर्मनी भारत की अध्यक्षता वाले जी-20 सम्मेलन में सहयोग कर सकेंगे। श्री जयशंकर ने लगातार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों का मुद्दा उठाया है, जहां दोनों देश 2005 से ही जी-4 समूह का हिस्सा रहे हैं। बेरबोक ने कश्मीर के मसले के हल के लिए संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले अपने विवादित बयान को वापस लेते हुए अपनी यात्रा से पहले ‘द हिंदू’ से कहा कि वह कश्मीर को एक द्विपक्षीय मसला मानती हैं, जिसे सिर्फ भारत और पाकिस्तान ही मिलकर सुलझा सकते हैं।
इस रिश्ते की मजबूती हालांकि यूक्रेन में जारी जंग पर परस्पर असहमतियों के आधार पर तय होनी है। इस मसले पर श्री जयशंकर ने पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रीय हित में रूस से कच्चे तेल का जो आयात भारत करता है वह यूरोप द्वारा खरीदे जाने वाले जीवाश्म ईंधन एक छोटा सा हिस्सा है। हो सकता है यह सही हो लेकिन यह भी सच है कि यूरोपीय संघ के देशों ने मास्को के साथ अपने बचे खुचे रिश्ते भी तोड़ लिए हैं। तेल के गिरते आयात के अभी और कम होने के
आसार हैं, जब समुद्रपार आयात पर कीमतों की ऊपरी दर 5 दिसंबर को लागू हो जाएगी। दूसरी तरफ भारत का रूस से किया जाने वाला तेल का आयात इक्कीस गुना बढ़ गया है, जो रूस को भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनाता है। फॉरेन अफेयर्स पत्रिका में चांसलर शुल्ज ने लिखा है कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध के चलते जो भूराजनीतिक संक्रमण हो रहा है, वह एक ऐसा निर्णायक मोड़ है जहां से दुनिया बुनियादी रूप से करवट ले रही है। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर अंतरराष्ट्रीय शांति का ताना बाना छिन्न भिन्न करने का आरोप लगाया है। बदलाव के इस काल में भारत जब जी-20 की अध्यक्षता करेगा, तब उसे जर्मनी के साथ और करीबी से मिलकर सभी पश्चिमी सहयोगियों को एक साथ लाने के लिए काम करना होगा ताकि वैश्विक एकता की मोदी की योजनाओं को अमली जामा पहनाया जा सके। इसमें उसे यह ध्यान रखना होगा कि जलवायु परिवर्तन, असमानता, गरीबी और डिजिटल विभाजन जैसे अहम कामों पर सहमति की गाड़ी रूस के साथ कायम गहरे विभाजनों के चलते पटरी से न उतरने पाए।
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Published - December 07, 2022 11:55 am IST