सोमवार को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले भूपेंद्र पटेल, गुजरात में नरेंद्र मोदी के बाद के दौर में यह जिम्मेदारी संभालने वाले तीसरे व्यक्ति हैं। श्री पटेल को श्री मोदी का पूरा भरोसा हासिल है, जिनके दम पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यह विधानसभा चुनाव जीता। प्रचार के दौरान श्री पटेल की भूमिका सीमित थी, लेकिन अब दूसरा कार्यकाल संभालने के बाद, उन पर अपने बूते एक राजनेता के तौर पर उभरने का दवाब होगा। नए मंत्रिपरिषद में 16 सदस्य हैं, जो राज्य के विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें, तीन पाटीदार, पांच ओबीसी, दो कोली, एक-एक ब्राह्मण, जैन और राजपूत, दो आदिवासी और एक दलित हैं। छह मंत्री सौराष्ट्र से, चार दक्षिण से और तीन-तीन राज्य के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों से हैं। कांग्रेस के चार दलबदलुओं को जगह मिली है। भाजपा की प्रचंड जीत ने भ्रष्टाचार और महंगाई को लेकर जनाक्रोश को ढंक दिया है, लेकिन यह मिटा नहीं है। इसके बारे में कई चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में बताया गया था। राज्य के दो बड़े नेताओं, श्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह, के दबदबे वाले केंद्र के सक्रिय सहयोग के बूते गुजरात में काफी निवेश आ रहा है। लेकिन, सिर्फ उतना पर्याप्त नहीं है। नई सरकार के पास अभी करने को काम का अंबार है।
बेरोजगारी दर से निपटना, खासकर ग्रामीण और आदिवासी बहुल इलाकों में सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। नई सरकार के लिए, प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना फौरी चुनौती है। हाल के वर्षों में, अनुबंध वाले रोजगार की वजह से राज्य की क्षमता कमजोर हुई है और उससे प्रशासन की चुनौतियां बढ़ी हैं। सामाजिक क्षेत्र, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण में खर्च और नतीजे, राज्य की चमचमाती छवि से मेल नहीं खाते। शायद इसी वजह से, आदिवासी इलाकों में आम आदमी पार्टी पैठ बना सकी, जहां के लोगों के लिए गुजरात का प्रसिद्ध विकास मॉडल सुनी-सुनाई बातें लगती हैं। बीजेपी सरकार में आर्थिक विकास मजबूत रहा, लेकिन इसका फायदा मोटे तौर पर राज्य के उच्च तबके के लोगों को मिली; ज्यादातर उच्च जाति और कुछ-कुछ ओबीसी की मजबूत जातियों को। प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद के मामले में, गुजरात का प्रदर्शन अच्छा है और वह इस सूची में छठे (2020-21) पायदान पर है, लेकिन 30 राज्यों की सूची में गुजरात को उम्र के हिसाब से लोगों की लंबाई यानी स्टंटिंग के मामले में 26वां (2019-2020) स्थान मिला। इसके अलावा और भी मानदंडों पर गुजरात लगातार पिछड़ेपन की कहानियां
कह रहा है। श्री पटेल को गुजरात के लिए ज्यादा जनपक्षीय शासन मॉडल तैयार करने के लिए, इस नए जनादेश का इस्तेमाल करना चाहिए।
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Published - December 14, 2022 11:43 am IST