जनवरी 2020 में कोविड-19 महामारी के शुरू होने के बाद, भारत में सर्दी का तीसरा मौसम शुरू हो गया है। इसके साथ ही, नोवल कोरोना वायरस के दैनिक संक्रमण के मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है। जनवरी 2022 के आखिरी दिनों में तीसरी लहर के चरम पर पहुंचने के बाद, जुलाई और अगस्त में हल्की उछाल देखने को मिली थी। नवंबर के पहले हफ्ते के बाद राष्ट्रीय स्तर पर दैनिक संक्रमण के मामले 1,000 से नीचे और बीते चार दिनों में 500 के नीचे आ गए हैं। देश भर में टेस्ट की धीमी दर को देखते हुए, हो सकता है कि दैनिक मामलों में गिरावट से संक्रमण की असली तस्वीर स्पष्ट न हो रही हो, लेकिन टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने की दर और कोविड-19 के हल्के से गंभीर लक्षण की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में भी गिरावट आई है। वर्ष 2021 में दूसरी लहर के चरम वाले दिनों की तुलना में यह बहुत कम है। कोविड-19 से होने वाली मौत की तादाद भी बहुत कम है। कई राज्यों में बीते कई दिनों से मौत की कोई रिपोर्ट नहीं है। केरल बीते समय में हुई ऐसी मौतों के आंकड़े जरूर दे रहा है, जिन्हें सही समय पर दर्ज नहीं किया जा सका था, लेकिन कई दिनों से वहां कोई ताजा मौत नहीं हुई है। नवंबर की 22 तारीख को राष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु दर 1.19 फीसदी थी। भारत की स्थिति कुछ अन्य देशों से काफी अलग है जहां दैनिक संक्रमण के मामलों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यहां तक कि तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन के मामले में भी भारत में हल्की वृद्धि ही देखी गई, लेकिन यह बड़े पैमाने पर अस्पताल में भर्ती होने या मौत का बड़ा कारण नहीं बन पाया।
संक्रमण के बेहद कम मामले और अस्पताल में भर्ती होने की कम दर की वजह से भारत में हालात अब बहुत चिंताजनक नहीं रह गए हैं। ज्यादातर कारोबार और शैक्षणिक संस्थान अब महामारी से पहले के दिनों की तरह खुल गए हैं और उन जगहों पर भी काफी भीड़ देखने को मिल रही है, जहां हवा की निकासी की बेहतर व्यवस्था नहीं है। इन जगहों पर बहुत कम लोग अपनी मर्जी से मास्क पहन रहे हैं। फिर भी, तीसरी लहर के बाद कोरोना के मामलों में बड़ी
उछाल देखने को नहीं मिली है। इसे मास्क पहनने समेत कोविड-उपयुक्त व्यवहार की अनिवार्यता खत्म करने की मजबूत वजह के रूप में देखा जा सकता है। हफ्ते भर पहले भारत ने अपने यहां बेहतर हालात को देखते हुए हवाई यात्रियों के लिए भी मास्क पहनने की अनिवार्यता को वैकल्पिक बना दिया। अब सिर्फ अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में ही मास्क पहनने की अनिवार्यता जारी रहनी चाहिए। संक्रमण के निम्न स्तर के बावजूद, यह सलाह दी जाती है कि बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों वाले लोगों समेत स्वास्थ्य के मामले में कमजोर लोगों को मास्क पहनना चाहिए, ताकि संक्रमण के खतरों से वे खुद को सुरक्षित रख सके। लॉन्ग कोविड एक असली खतरा है और यह स्वस्थ लोगों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। बदलते हालात के मुताबिक वायरस भी खुद को बदल रहा है और वायरस का नया वेरिएंट, स्वाभाविक रूप से पहले से ज्यादा तेजी से संक्रमण पैदा करने की ताकत रखेगा। उनकी घातकता का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि रोग की शुरुआत से पहले ही तेज संक्रमण होता है। इसलिए, खतरा तेज संक्रमण से है न कि बीमारी की गंभीरता से।
This editorial has been translated from English, which can be read here.