भारत ने ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर के खिलाफ जंग को गंभीरता से लिया है और केंद्र सरकार ने यह ऐलान किया है कि वह स्कूलों के जरिए 9 से 14 वर्ष की आयु की लड़कियों के लिए टीकाकरण शुरू करेगी। यह फैसला एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है जब ‘द लांसेट’ में इस महीने प्रकाशित एक अध्ययन में यह दर्शाया गया है कि एशिया में ग्रीवा कैंसर के सबसे अधिक मामले भारत में हैं और इसके बाद चीन का स्थान है। वैश्विक स्तर पर ग्रीवा कैंसर और उससे होने वाली मौतों के कुल मामलों में से 58 फीसदी से अधिक एशिया में होने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें से भारत में 21 फीसदी मामले और 23 फीसदी मौतें हुईं हैं और इसके बाद चीन (18 फीसदी और 17 फीसदी) का स्थान रहा। ग्रीवा कैंसर एक रोके जाने और उपचार किए जाने लायक कैंसर है। यह मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के संक्रमण की वजह से होता है और ऐसे टीके उपलब्ध हैं जो कार्सिनोजेनिक एचपीवी से बचाते हैं। वर्ष 2020 में दुनिया भर में 6,00,000 से अधिक महिलाओं में ग्रीवा कैंसर का पता लगाने के साथ, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस आशय के कई दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं जिनका पालन दुनिया के सभी देशों द्वारा एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में इसके खात्मे के लिए किए जाने की जरूरत है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट किया है कि सभी देशों को एक वर्ष में प्रति 1,00,000 महिलाओं में ग्रीवा कैंसर के चार से कम नए मामले होने की दर तक पहुंचना चाहिए और उसे बरकरार रखना चाहिए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, यह जरूरी है कि 90 फीसदी लड़कियों को 15 वर्ष की आयु तक एचपीवी वैक्सीन का पूर्ण टीकाकरण कराया जाए।
इसके लिए, यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) में एचपीवी वैक्सीन शामिल करने का सरकार का इरादा एक काबिलेतारीफ कदम है। भारत का टीकाकरण नेटवर्क, जैसाकि कोविड-19 के दौरान स्पष्ट हुआ है, ने अच्छा काम किया है और पोलियो तथा मातृ एवं नवजात टेटनस जैसी बीमारियों को हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया है। यूआईपी सालाना दो करोड़ से
अधिक नवजात शिशुओं और दो करोड़ गर्भवती महिलाओं को लक्षित करने वाले सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है और यह कम से कम 12 बीमारियों के लिए मुफ्त टीके प्रदान करता है। ग्रीवा कैंसर से लड़ने के लिए, भारत द्वारा 2023 के मध्य तक स्वदेशी रूप से विकसित ‘सर्वावैक’ वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू किए जाने की उम्मीद है। इस वैक्सीन को भारत के औषधि महानियंत्रक की मंजूरी मिल गई है और यूआईपी कार्यक्रम में इसके इस्तेमाल के लिए टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह द्वारा मंजूरी दे दी गई है। यह टीकाकरण मुख्य रूप से स्कूलों के जरिए प्रदान किया जाएगा। लेकिन, महत्वपूर्ण रूप से, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियों तक सामुदायिक संपर्क और मोबाइल टीमों के जरिए पहुंचा जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि विभिन्न अध्ययनों से यह पता चलता है कि ग्रीवा कैंसर के मामलों और मानव विकास सूचकांक मूल्यों के बीच एक संबंध है, जिसमें मानव विकास सूचकांक के बेहतर होने के साथ इस बीमारी की दर में उत्तरोत्तर कमी देखी गई है। टीकाकरण के साथ-साथ सही समय पर उपचार के वास्ते इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए जांच कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
This editorial has been translated from English, which can be read here.
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