गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत ने हिमाचल प्रदेश में उसकी हार को छुपा दिया है। न सिर्फ गुजरात एक बड़ा राज्य है, बल्कि इस पश्चिमी राज्य में पार्टी की जीत का पैमाना पहाड़ी राज्य में उसकी बेहद मामूली अंतर से हार पर भी भारी पड़ गया है। कांग्रेस के लिए, हिमाचल प्रदेश में उसकी जीत गुजरात में उसके सफाये के बरक्स एक छोटी तसल्ली है। गुजरात में 182 विधानसभा सीटों में से उसे 2017 में 77 सीटों के मुकाबले इस बार 17 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। अब पांच साल के एक और कार्यकाल के साथ, भाजपा 32 साल तक गुजरात पर शासन करेगी, जोकि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के 34 साल के शासन के लगभग बराबर होगा। पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के शासन का 2011 में अंत हो गया था। भाजपा ने अपना मत प्रतिशत भी अब 2017 के 49 फीसदी से बढ़ाकर 53 फीसदी कर लिया है। आम आदमी पार्टी (आप) गुजरात में तीसरे स्थान पर रही। लेकिन इस राज्य में उसके जोरदार धावे ने उसे 13 फीसदी मत और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी दिला दिया। आप की आमद ने गुजरात में मुकाबले को तिकोना बना दिया, जिससे भाजपा को फायदा हुआ। आप द्वारा कल्याणकारी योजनाओं के उदार वादों के सहारे राज्य में एक नए किस्म की वर्ग की राजनीति का बीज बोने में सफल होने के बाद, भाजपा ने कांग्रेस की ताकत माने जाने वाले आदिवासी एवं ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ बना ली। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही थे जिन्होंने भाजपा के लिए पूरे चुनावी अभियान का नेतृत्व किया और उनकी लोकप्रियता, जोकि राज्य सरकार के प्रदर्शन से जुड़ी नहीं थी, ने भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाने में मदद की।
हिमाचल प्रदेश का नतीजा भाजपा के खिलाफ छुपी हुई सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष द्वारा कभी-कभार इसका फायदा उठा लेने की क्षमता का सूचक है। कांग्रेस ने दोनों राज्यों ही में एक संयत चुनाव अभियान चलाया। गुजरात में यह तरीका पार्टी के लिए बिल्कुल भी काम नहीं आया, लेकिन हिमाचल प्रदेश में सत्ता विरोधी कारक की वजह से उसे इसका फायदा मिला। गुजरात में कांग्रेस और आप का संयुक्त मत प्रतिशत लगभग 40 फीसदी रहा, जोकि 2017 में अकेले कांग्रेस को मिले मत प्रतिशत की तुलना में कम है। हिमाचल प्रदेश में, श्री मोदी का
व्यापक प्रचार अभियान पर्याप्त साबित नहीं हुआ। गुजरात में भाजपा ने जहां 2017 में झटके खाने के बाद अपनी तमाम कमियों से पार पा लिया, वहीं कांग्रेस उसके बाद से वहां दम तोड़ चुकी है। आप नए जोश के साथ अब नए इलाकों में विस्तार करने की कोशिश करते हुए संभावित रूप से विपक्षी खेमे में कीचड़ पैदा करेगी और भाजपा की हिंदुत्व की विचारधारा के अनुरूप चलेगी। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के नतीजे बताते हैं कि भारतीय राजनीति में भाजपा की बेताज बादशाह की हैसियत को अब भी कोई चुनौती नहीं है, श्री मोदी अपनी पार्टी से अधिक लोकप्रिय हैं और विपक्ष कोई ऐसी राजनीति या कार्यक्रम बनाने में नाकाबिल है जो भाजपा को चुनौती दे सके। भाजपा के पास जहां एक ऐसा व्यापक सूत्र है जो सभी इलाकों में काफी हद तक कामयाब है, वहीं इसका विपक्षी खेमा सिर्फ एक खास राज्य पर केन्द्रित रणनीति के सहारे ही टिक सकता है।
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