एक मौजूदा जज, एक पूर्व एलीट पैराट्रूप कमांडर और एक पूर्व पुलिस अधिकारी। ये उन 25 लोगों में शामिल हैं जिन्हें बुधवार को जर्मनी में देशव्यापी छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया। जर्मन अधिकारियों का कहना है कि एक चरमपंथी समूह राजसत्ता को उखाड़ फेंकने की योजना बना रहा था। हालांकि जर्मनी में कई धुर-दक्षिणपंथी गुटों का उभार हुआ है, लेकिन इस मुल्क के नाजी इतिहास को देखते हुए, सुरक्षा एजेंसियों और राज्य की अन्य इकाइयों में इन गुटों के सेवारत और सेवानिवृत्त सदस्यों की घुसपैठ, चिंता का सबब बनता जा रहा है। गिरफ्तार किए गए लोग, राइखबर्गर यानी ‘राइख के नागरिक’ नामक चरम दक्षिणपंथी समूह के सदस्य हैं जो दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के जर्मन राज्य को नहीं मानते। साथ ही इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो अमेरिका की धुर दक्षिणपंथी समूह क्यूएनॉन द्वारा फैलाई गई कॉन्सपिरेसी थ्योरी से प्रभावित हैं। अधिकारियों का कहना है कि उनकी योजना बुंडनस्टाग पर हमला करने, तख्तापलट करके सरकार गिराने और नए राइख मॉडल पर आधारित प्रथम विश्व युद्ध से पहले का साम्राज्यवादी राष्ट्र बनाने की थी। 71 वर्षीय पूर्व पैराट्रूप कमांडर हाइनरिख XIII, प्रिंस रीस को इस योजना का सरगना माना जा रहा है। वे यहूदी विरोधी मिजाज के लिए जाने जाते हैं और आधुनिक जर्मन गणराज्य पर वे लगातार हमले करते आए हैं। एक बार तो इस देश को उन्होंने भ्रम करार दे दिया था। इसलिए, इस गुट की सीमित वास्तविक ताकत और क्षमताओं के बावजूद, जर्मनी में समाज के कई यहूदी-विरोधी चरमपंथी समूह एकजुट हुए और साजिश के सिद्धांत और साम्राज्यवादी अतीत की यादों के बहकावे में आकर, वे लोकतांत्रिक जर्मन राष्ट्र राज्य की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए हथियार तक उठाने को तैयार हो गए।
यह कोई इकलौती घटना नहीं है। जर्मनी में धुर-दक्षिणपंथी चरमपंथियों द्वारा अंजाम दी जाने वाली हिंसक घटनाओं में भी बढ़ोतरी देखी गई है। सन् 2019 में, पश्चिमी जर्मनी में एक मध्य-वाम विचारधारा वाले एक स्थानीय नेता की हत्या कर दी गई थी और पूर्वी जर्मनी के हाले इलाके में एक सिनेगॉग (यहूदियों का प्रार्थनास्थल) पर एक बंदूकधारी ने हमला करके दो लोगों की हत्या कर दी थी। बीते साल, हर स्तर पर चरमपंथ की बात सामने आने के बाद, सरकार को
खास स्पेशल-फोर्स ईकाई कोमांडो स्पीजियलक्राफ्टे को आंशिक रूप से भंग करना पड़ा था। जर्मनी को दो तरह की धुर-दक्षिणपंथी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पहली, राइखबर्गर जैसे चरमपंथी समूहों की ओर से खड़ी की गई चुनौतियां और दूसरी, धुर दक्षिणपंथी राजनीति का मुख्यधारा में आ जाना। धुर दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी), 2013 में 5 फीसदी वोट की सीमा पार करने में नाकाम रही थी, लेकिन बीते साल बुंडनस्टाग में इसने 83 सीटें जीत लीं। हालांकि एएफडी खुद को हिंसक संगठनों से अलग करके देखती है, लेकिन वैचारिक रूप से ये सब आपस में मिले हुए हैं। बुधवार को गिरफ्तार हुए जज बिरगिट एमडब्ल्यू, एएफडी के सांसद थे। नाजी दौर के दमन की दिल दहलाने वाली यादों को जिंदा रखने वाले जर्मनी में चरमपंथी खतरों से निपटने के लिए कड़े कानून हैं, लेकिन उसे खुद से पूछना चाहिए कि इतनी सावधानियों के बावजूद धुर-दक्षिणपंथी समूहों को समर्थन क्यों मिल रहा है? उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य की संस्थाओं में चरमपंथियों की घुसपैठ न हो और राइखबर्गर जैसे नेटवर्कों पर नकेल कसना जारी रखना होगा। हालांकि, जर्मनी के नेताओं के लिए सबसे बड़ी चनौती धुर दक्षिणपंथी विचारधारा से राजनीतिक रूप से निपटने की है।
This editorial has been translated from English, which can be read here.