सोमवार की सुबह जब भारत नींद से जगा, तब लॉस एंजिलिस के डॉल्बी थिएटर में आयोजित 95वें अकादमी पुरस्कार समारोह में उसे मिले दो पुरस्कार जीत के जश्न का इंतजार कर रहे थे। निर्देशक कार्तिकी गोंजाल्विस की तमिल डॉक्युमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ सर्वश्रेष्ठ लघु वृत्तचित्र की श्रेणी में ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म बन गई। निर्देशक एस.एस. राजामौली की तेलुगु फिल्म आरआरआर के आकर्षक गीत ‘नाटू नाटू’ ने सर्वश्रेष्ठ मौलिक गीत (संगीतकार एम.एम. कीरवानी और गीतकार चंद्रबोस) का ऑस्कर पुरस्कार जीता। इस जश्न के बीच हालांकि निर्देशक शौनक सेन की ‘ऑल दैट ब्रीद्स’ सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र फीचर की श्रेणी में निर्देशक डैनियल रोहर की नवलनी से पिछड़ गई। आरआरआर की यह जीत 2009 में भारत को मिले पिछले ऑस्कर के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जब ब्रिटिश प्रोडक्शन ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के गीत ‘जय हो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ मौलिक गीत, सर्वश्रेष्ठ संगीत और सर्वश्रेष्ठ साउंड मिक्सिंग का पुरस्कार क्रमश: गीतकार गुलज़ार, संगीतकार ए. आर. रहमान और रेसुल पुकुट्टी को मिला था। डैनी बॉयल की इस फिल्म के बारे में तो फिर भी यह कहा जा सकता है कि इसका गीत, नृत्य और सारा मसाला पश्चिम की नजर से रचा गया था लेकिन आरआरआर तो विशुद्ध भारतीय प्रोडक्शन है जिसे अपने धमाकेदार ऐक्शन दृश्यों और झुमा देनेवाले नृत्य को लेकर कोई शर्मिंदगी नहीं है। ‘नाटू नाटू’ की जीत को एक ऐसे सिनेमा के प्रति अकादमी की मान्यता के रूप में लिया जा सकता है जिसने बहुसांस्कृतिक अमेरिकी समाज के मानस पर कब्जा कर लिया है।
इन पुरस्कारों ने एक बार फिर नस्लवादी बहस को खड़ा कर दिया है कि क्या ऑस्कर ‘गोरों’ के लिए है- खासकर ‘टू लेस्ली’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में एंड्रिया राइजबोरो के नामांकन के संदर्भ में, जिसकी आलोचना इसलिए की जा रही है क्योंकि नामांकन में ‘द वुमन किंग’ के लिए वियोला डेविस और टिल के लिए डेनियल डेडवेलर जैसे संभावित नामों को नजरअंदाज कर दिया गया जिसके चलते अकादमी यह जांचने को बाध्य हो गई कि क्या एंड्रिया का नामांकन हॉलीवुड में उनके साथियों के आक्रामक प्रचार का नतीजा था। ऑस्कर पुरस्कारों में समावेश का चमकदार उदाहरण रहा ‘एवरीथिंग एवरीवेयर ऑल ऐट वन्स’ (एक प्रवासी चीनी परिवार की कहानी) को मिला 11 नामांकन और सात पुरस्कार। इसके शीर्ष पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार शामिल है, और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता की श्रेणी में वियतनामी-अमेरिकी के ह्यू क्वान को पुरस्कार मिला है। इसकी मुख्य अभिनेत्री मिशेल योह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री श्रेणी में नामांकन प्राप्त करने और पुरस्कार जीतने वाली पहली एशियाई महिला बनी है। यह 20 वर्षों में किसी अश्वेत अभिनेत्री के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पहला पुरस्कार भी है। साठ वर्षीय इस अभिनेत्री का सबने अभिवादन किया जब उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि वे कभी भी किसी को अपने से यह न कहने दें कि हमारा सर्वश्रेष्ठ बीत चुका है। नामांकन के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाली दूसरी अश्वेत फिल्म ‘ब्लैक पैंथर: वाकांडा फॉरएवर’ रही जिसे सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन का पुरस्कार मिला। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले वर्षों में ये बहुसांस्कृतिक पुरस्कार और ज्यादा कलाकारों को वैश्विक मंच पर लाने का रास्ता बनाएंगे।
This editorial has been translated from English, which can be read here.
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