पीछे हटने की जरूरत: ईरान-इजराइल तनाव

पश्चिम एशिया में क्षेत्रीय युद्ध से बचने के लिए इजराइल को झुकना चाहिए

Published - April 17, 2024 09:56 am IST

दो हफ्ते पहले दमिश्क में अपने दूतावास परिसर पर बमबारी के जवाब में 14 अप्रैल की रात को ईरान द्वारा बड़े पैमाने पर इजरायल पर किए ड्रोन व मिसाइल हमलों ने पहले से ही अस्थिर पश्चिम एशिया को एक पूर्ण युद्ध के कगार पर धकेल दिया है। ईरान ने सीरिया एवं लेबनान में कुद्स फोर्स के संचालन की देखरेख करने वाले मोहम्मद रजा ज़ाहिद सहित अपने दो जनरलों एवं रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के पांच वरिष्ठ अधिकारियों को खोया था और ईरान की ओर से प्रतिक्रिया की उम्मीद थी। अतीत में, ईरान ने अपने अधिकारियों पर इजराइल के हमलों के जवाब में परोक्ष तरीकों का इस्तेमाल किया था या अन्य देशों में इजराइली संपत्तियों को निशाना बनाया था। लेकिन इस बार, तेहरान द्वारा अपनी ज़मीन से की गई हथियारों की बौछार ने सीधे इजराइल को निशाना बनाया। इससे तनाव इतना बढ़ गया जो बीते कई दशकों में पश्चिम एशिया में नहीं देखा गया था। इजराइल ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जॉर्डन की मदद से “99 फीसदी” ईरानी मिसाइल हमलों को रोक लिया। ईरान का कहना है कि उसकी यह कार्रवाई दूतावास पर हुए हमले के जवाब में “आत्मरक्षा” में थी और मामला फ़िलहाल के लिए खत्म हो गया है। अमेरिका और इजराइल के अन्य सहयोगियों ने इजराइल की मिसाइल रक्षा प्रणाली की सराहना की और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से क्षेत्रीय युद्ध से बचने के लिए संयम बरतने का आग्रह किया। लेकिन इजराइल ने कसम खाई है कि ईरान की चढ़ाई का जवाब दिया जाएगा।

कई मायनों में, पश्चिम एशिया आज भी एक भू-राजनैतिक दलदल बना हुआ है। इजराइल की फिलिस्तीनी इलाकों की क्रूर एवं अवैध घेराबंदी को क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों ने लंबे समय तक नजरअंदाज किया। हमास ने 7 अक्टूबर, 2023 को अवरुद्ध गाजापट्टी से एक जानलेवा हमला किया, जिसने इज़राइल के सामूहिक मानस में एक खुला घाव कर दिया। तब से, इजराइल गाजा पर प्रतिशोधपूर्ण और नरसंहार करने वाले हमले कर रहा है। अमेरिका, जो इजराइल का सबसे प्रभावशाली सहयोगी है, तेल अवीव द्वारा गाजा में बड़े पैमाने पर किए जाने वाले विध्वंस और ईरान के दूतावास परिसर पर बेहद खतरनाक बमबारी सहित उस क्षेत्र में किए गए विभिन्न हमलों पर लगाम लगाने में विफल रहा। हिज्बुल्लाह, हमास और हौथियों का समर्थन करने वाला ईरान, भी कोई संयम दिखाने में नाकामयाब रहा। अब यह क्षेत्र एक नाजुक मुहाने पर खड़ा है और एक हल्का सा धक्का भी एक आपदा को जन्म देने के लिए काफी होगा। श्री नेतन्याहू की सुरक्षा और युद्ध संबंधी नीतियां बुरी तरह नाकाम रही हैं। वह 7 अक्टूबर के हमले को नहीं रोक सके। गाजा पर किए गए उनके हमलों ने उस इलाके को एक कब्रिस्तान में बदल तो दिया है, लेकिन वे हमास को हराने और बंधकों को रिहा करने में विफल रहे हैं। पश्चिम एशिया के इलाके में उनके लापरवाही भरे बमबारी अभियानों ने ईरान और इजराइल को युद्ध के कगार पर ला दिया है। अगर एक खुला युद्ध छिड़ता है, तो इजराइल और ईरान दोनों एक-दूसरे पर कहर बरपा सकते हैं, जिससे ‘दुनिया की ऊर्जा की टोकरी’ माने जाने वाला यह पूरा क्षेत्र युद्ध के मैदान में तब्दील हो सकता है। श्री नेतन्याहू को इजराइल की रक्षा प्रणालियों के उल्लेखनीय प्रदर्शन को अपनी जीत मानना चाहिए और क्षेत्रीय युद्ध से बचने के लिए नरमी दिखानी चाहिए। अगर इजराइल ऐसा करता है, तो यह पश्चिम एशिया में तनाव कम करने के अवसर की एक खिड़की खोलेगा।

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