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गोवा का प्रहसन

September 16, 2022 01:00 pm | Updated 01:00 pm IST

बड़े पैमाने पर दल-बदल चुनावी जनादेश की अवहेलना है

गोवा में दलबदल के एक और प्रहसन में कांग्रेस के 11 में से आठ विधायक सत्ताधारी भाजपा में शामिल हो गए। इस प्रदेश ने राजनेताओं द्वारा जनादेश की अवहलेना करते हुए पाला बदलने के मामले में एक खास तरह की कुख्याति हासिल की है। बीते तीन साल में, भाजपा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत दो बार गोवा कांग्रेस को विभाजित करने में कामयाब रहे हैं। पिछली विधानसभा में, कांग्रेस के 17 में से 15 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी, जिनमें से अधिकांश भाजपा में चले गए। फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी संख्या में नए चेहरों को मैदान में उतारा था। इसके सभी 37 उम्मीदवारों ने दो बार ‘वफादारी की शपथ‘ ली थी। एक बार नेता राहुल गांधी के साथ, मंदिर, चर्च और दरगाह में शपथ ली और फिर एक शपथ पत्र पर पाला नहीं बदलने को लेकर हस्ताक्षर किए। सभी ईश्वर साथ मिलकर भी, जनादेश के साथ विश्वासघात करने वाले इन विधायकों की अंतरात्मा नहीं जगा सके। इस प्रहसन के आखिरी अध्याय ने लोकतंत्र का और ज्यादा मजाक बना दिया। ऐसा नहीं है कि गोवा में ही ऐसा हुआ। हाल ही में बिहार में जदयू ने भाजपा के बदले राजद का हाथ थामकर जनादेश की अवहेलना की। बिहार एक ऐसा दुर्लभ उदाहरण था जहां भाजपा अपनी ही रणनीति का शिकार बन गई।

भाजपा ने गोवा में अपने अंदाज में पासा पलटा। हालांकि, उसे सत्ता में बने रहने के लिए किसी और विधायक के समर्थन की दरकार नहीं थी। कुल 40 सदस्यों वाली विधानसभा में उसके अपने 20 विधायक हैं और तीन निर्दलीय के अलावा महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के दो विधायकों का भी उसे समर्थन हासिल है। कांग्रेस के आठ विधायकों के विलय के बाद, अब सरकार के पास 33 विधायकों का समर्थन है। कांग्रेस एक प्रभावी विपक्ष बनने की अपनी हैसियत गवां बैठी है। यह खिचड़ी कई महीनों से पक रही थी और कांग्रेस ने इसे रोकने की कोशिश भी की। जैसे ही इस बात की हवा लगी, कांग्रेस ने फौरन माइकल लोबो को विधानसभा में विपक्ष के नेता पद से और दिगंबर कामत को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के स्थायी आमंत्रित सदस्य के पद से हटा दिया। श्री लोबो और श्री कामत ने पाला बदलने के कारण के रूप में कांग्रेस आलाकमान के साथ असंतोष का हवाला दिया, लेकिन असली कारण हर किसी को पता है। मडगांव से सात बार विधायक और कांग्रेस के मुख्यमंत्री होने के बावजूद श्री कामत का भाजपा के साथ होने का इतिहास रहा है। वह 1994 में भाजपा के चार विधायकों में से एक थे। वर्ष 2014 में भाजपा ने उनका नाम करोड़ों रुपए के खनन घोटाले के साथ जोड़ा, जिसकी जांच की तलवार अभी भी उनके सिर पर लटक रही है। भाजपा मंत्री विश्वजीत राणे ने श्री लोबो की संपत्ति की जांच की मांग की थी। श्री लोबो और उनकी पत्नी देलिला इस तटीय राज्य के सबसे अमीर विधायकों में से हैं। एलिक्सो सेक्वेरा और रोडोल्फो फर्नांडीस के दल बदलने के बाद, अब कैथोलिक बहुल दक्षिणी गोवा में भाजपा की पकड़ मजबूत हो गई है। श्री कामत ने कहा है कि वह वापस मंदिर गए और कांग्रेस के प्रति वफादारी की अपनी प्रतिज्ञा त्यागने के लिए भगवान से अनुमति ली। इन सबके बीच, गोवा के लोग इस बात से हैरान हैं कि आखिर उनके वोट का  कोई मतलब भी है या नहीं।

This editorial has been translated from English which can be read here.

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