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हैरतअंगेज: कतर विश्वकप में अफ्रीकी और एशियाई देशों का प्रदर्शन

Published - December 05, 2022 12:35 pm IST

अफ्रीकी और एशियाई देशों ने फुटबॉल के विश्व मंच पर अपना रुतबा बढ़ाया है

कतर में चल रहे फीफा विश्वकप में अनिश्चितता की आंधी आई हुई है। सांसें रोक देने वाले मुकाबलों में हार और जीत दोनों के बाद सितारा टीमों की आह और कमजोर मानी जाने वाली टीमों के पलटवार से कतर जगमगा रहा है। महामारी के दस्तक की चेतावनी और यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमलों में मची तबाही के बावजूद, फुटबॉल दुनिया का सबसे बड़ा खेल बना हुआ है और एक पखवाड़े से ज्यादा समय से पैर और गेंद के बीच के नृत्य ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। भले ही स्टेडियमों के निर्माण के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन की फुसफुसाहट हुई हो, लेकिन इस महा-आयोजन को बिना हंगामे के साथ आयोजित करने में कतर कामयाब रहा। मैदान के बाहर चलने वाली घटनाओं से खेल बेखबर नहीं रह सकता और जब ईरान के खिलाड़ियों ने मैच से पहले राष्ट्रगान गाने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने इस बात को प्रमुखता से रेखांकित किया। ईरान में समान अधिकार की लड़ाई लड़ रही महिलाओं के समर्थन में इन खिलाड़ियों ने यह कदम उस समय उठाया, जब ज्यादातर एथलीट राजनीतिक मामलों में अपना मुंह सिल लेते हैं। वर्ष 1930 में उरुग्वे में हुए पहले विश्वकप से अब तक इस चैंपियनशिप ने एक लंबा सफर तय कया है। वर्ष 1930 में अर्जेंटीना को हराकर मेजबान उरुग्वे चैंपियन बना था। इस बार, उरुग्वे बाहर हो चुका है और अर्जेंटीना की उम्मीद अभी बरकरार है। यह खेल में लगातार होने वाले बदलाव का एक संकेत है। दक्षिण अमेरिका और यूरोपीय देशों का फुटबॉल का पहलवान होने की छवि भी इस बार टूट रही है।

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अफ्रीकी और एशियाई देशों ने यह दिखा दिया कि वे इस प्रतिस्पर्धा में भिड़ने आए हैं, न कि टीमों की संख्या बढ़ाने। यूरोपीय लीग के जलवे, धरातल पर मौजूद मजबूत व्यवस्था और कोचिंग की व्यापकता ने मोरक्को, सेनेगल, जापान और दक्षिण कोरिया की कोशिशों के आगे घुटने टेक दिए। ये चारों टीम प्री-क्वार्टरफाइनल में पहुंच चुकी है और इन्होंने अफ्रीका और एशिया के झंडे को आसमान में ऊंचा किया है। हालांकि, यह एक गंभीर सच्चाई है कि भारत ने कभी भी विश्व कप के लिए क्वालीफाई नहीं किया है। सुनील छेत्री की मौजूदा टीम और आने वाले समय की टीमों की कोशिश होगी कि वे फुटबॉल की इस शिखर चैंपियनशिप में शामिल होने के लिए पूरी

ताकत झोंक दे। अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको में 2026 में होने वाले विश्वकप में 48 टीमें हिस्सा लेंगी। इस समय की 32 टीमों के मुकाबले यह संख्या काफी ज्यादा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि 106वें नंबर पर मौजूद भारत को टीम एशियाई देशों के कोटे में हुई बढ़ोतरी की वजह से इसमें शामिल होने का मौका मिल पाएगा या नहीं। हालांकि, लॉयोनेल मेस्सी, क्रिस्टियानो रोनाल्डो और घायल नेमार पर पूरा ध्यान टिकाने वाले इस विश्वकप में, अब तक ज्यादातर रोमांच एशियाई और अफ्रीकी जूतों से ही पैदा हुआ है। कैमरून भले ही क्वालिफाई नहीं कर सका, लेकिन उसने ब्राजील को शिकस्त दी। इसी तरह सऊदी अरब ने विश्वकप के शुरुआती चरण में अर्जेंटीना को धूल चटाई। ग्रुप चरण खत्म होने के ठीक बाद, पुर्तगाल पर दक्षिण कोरिया की 2-1 की जीत ने विश्वकप के सबसे अहम मुकाबलों (बिजनेस-एंड) की शुरुआत के लिए बेहतरीन तरीके से मंच सजा दिया।

This editorial has been translated from English, which can be read here. 

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