राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा औद्योगिक उत्पादन के ताजा अनुमान दिसंबर माह में समग्र औद्योगिक उत्पादन के साल–दर–साल के आधार पर नवंबर की 7.3 फीसदी की गति से लुढ़ककर 4.3 फीसदी तक पहुंच जाने का संकेत देते हैं। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के सभी तीन घटकों - खनन, मैन्यूफैक्चरिंग और बिजली - में गतिविधियां जहां अपरिवर्तित या मध्यम स्तर की रहीं, वहीं लगभग 78 फीसदी के भार के साथ मैन्यूफैक्चरिंग के सबसे व्यापक क्षेत्र में विस्तार के पिछले महीने की 6.4 फीसदी की वृद्धि से घटकर 2.6 फीसदी हो जाने से सबसे बड़ा झटका लगा है। क्रमिक या महीने-दर-महीने के आधार पर किए गए मूल्यांकन के अनुसार, खनन और मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में मंदी दर्ज की गई। नवंबर माह में 1.5 फीसदी की कमी के मद्देनजर बिजली के क्षेत्र में महज 7.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र, जहां क्रमिक विकास पिछले महीने के 6.9 फीसदी से दो प्रतिशत बिंदु से अधिक घटकर 4.7 फीसदी हो गया, को टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं, गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं एवं पूंजीगत वस्तुओं सहित छह उपयोग-आधारित क्षेत्रों में से तीन के आधार पर आंका गया। ये तीन श्रेणियां अर्थव्यवस्था में एक व्यापक प्रवृत्ति को दर्शाती हैं। पहला तो यही कि सेवा क्षेत्र में महामारी के बाद के समय में सबसे अधिक दिखाई देने वाले खर्च में वृद्धि के बावजूद निजी उपभोग को अभी भी एक स्थायी मुकाम हासिल करना बाकी है। नवंबर में त्योहारों के दौरान मांग के ऊपर चढ़ने के बाद टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन दिसंबर में साल-दर-साल आधार पर 10.4 फीसदी और क्रमिक रूप से 2.2 फीसदी घट गया। महीने-दर-महीने आधार पर वृद्धि के 7.4 फीसदी पर आ जाने के साथ गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में तेज क्रमिक मंदी का अनुभव किया गया।
पूंजीगत सामानों के आंकड़े निजी क्षेत्र में निवेश के मोर्चे पर अनिश्चितता जारी रहने की ओर इशारा करते हैं। उत्पादन वृद्धि में क्रमिक रूप से और साल-दर-साल आधार, दोनों स्तरों पर गिरावट के साथ संयंत्र और मशीनरी के उत्पादन का आदेश उस समय दिया गया है जब विस्तार या शुरुआत करने वाले उद्यम अपनी गति बनाए रखने के लिए जूझ रहे हैं। दिसंबर में, एक साल पहले के स्तर से इस खंड में वृद्धि नवंबर की 21.6 फीसदी की तुलना में धीमी होकर 7.6 फीसदी हो गई। नवंबर में 13 फीसदी के विस्तार के बाद महीने-दर-महीने आधार पर उत्पादन में बमुश्किल 0.2 फीसदी की वृद्धि के साथ तेज मंदी रही। हालांकि, प्राथमिक एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र और निर्माण सामग्री यह उम्मदी बंधाते हैं कि सही नीतिगत उपायों के साथ कुछ सकारात्मक गति हासिल की जा सकती है। प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन की गति जहां क्रमिक रूप से 1.1 फीसदी से बढ़कर 9.2 फीसदी हो गई, वहीं बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्र के लिए यह गति महीने-दर-महीने आधार पर नवंबर के 3.2 फीसदी से बढ़कर चार फीसदी पर पहुंच गई। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के अनुमान से संबंधित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सर्वेक्षण से यह संकेत मिलता है कि फर्मों को मौजूदा तिमाही में ऑर्डर बुक और विदेशी मांग में कुछ नरमी की उम्मीद है और नीतिगत समर्थन पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में पर्याप्त वृद्धि के जरिए बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की केन्द्रीय बजट की योजना से निर्माण सामग्री को काफी प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है और आने वाले महीनों में अन्य क्षेत्रों में भी ऐसा ही होने की संभावना है
This editorial has been translated from English, which can be read here.।
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