सूरज दे रहा है संकेतः अध्यधिक गर्मी और तमिलनाडु के नीतिगत फैसले

बेहद गर्मी की स्थिति में राज्यों को जोखिम वाले लोगों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए

Published - October 31, 2024 11:42 am IST

जो नीतिगत फैसले भविष्यदर्शी होते हैं उनके भलीभांति और लंबे समय तक काम करने की सर्वाधिक संभावना होती है। संकेतों को आज और अभी पढ़ने से जो भविष्यदृष्टि हासिल होती है, वह जिंदगियां बचा सकती है, और जीवन बेहतर बना सकती है। तमिलनाडु ने गर्मी को राज्य-विनिर्दिष्ट आपदा घोषित किया है, जो प्रभावित लोगों को राज्य की ओर से सहायता का पात्र बनाता है। यह एक ऐसे देश में स्पष्ट चेतावनी का संकेत है, जहां पर्यावरणीय गिरावट अनियोजित शहरों, गरीबी और आश्रय व स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की सीमित सुलभता के साथ कदमताल कर रही है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने घोषित किया कि 2023 रिकॉर्ड में दर्ज सबसे गर्म साल था। ‘दक्षिण एशिया के सघन रूप से आबाद कृषि क्षेत्रों में घातक लू के अनुमान’ पर एक अध्ययन आगाह करता है कि भावी चरम लू से सबसे ज्यादा खतरा गंगा और सिंधु बेसिन के सघन रूप से आबाद कृषि क्षेत्रों के इर्द-गिर्द केंद्रित रहेगा। यह बेहद अहम है कि मानव शरीर 37 डिग्री सेल्सियस के सर्वोत्तम तापमान पर बना रहे : लगातार इस सीमा से अधिक के तापमान में रहने से बेहिसाब दबाव पड़ सकता है और शरीर के कामों में रुकावट आ सकती है, महत्वपूर्ण अंगों पर असर हो सकता है, और जोखिम वाले लोगों में मौत की घटनाएं हो सकती हैं। तमिलनाडु सरकार का यह कदम इस बात की सराहनीय स्वीकृति है कि लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली मौसम-संबंधी चरम घटनाओं को टाला नहीं जा सकता। साथ ही यह अत्यधिक गर्मी से पैदा हुए मसलों के हल के लिए भी तैयार करता है। सरकार का आदेश कहता है कि 2024 की गर्मियों के दौरान तमिलनाडु के कई हिस्सों ने लगातार 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान दर्ज किया। इसमें स्वीकार किया गया कि लू एक खतरे के रूप में उभर रही है, जो बुजुर्गों, बच्चों, पहले से बीमारियों व सह-रुग्णताओं से ग्रस्त लोगों, और खुले वातावरण में काम करने वालों की रोज-ब-रोज की जिंदगी को प्रभावित कर रही है। तमिलनाडु के लिए जोखिम को उसकी लंबी तटरेखा बढ़ा देती है, जहां गर्मियों के दौरान उमस बढ़ जाती है, जिससे विशिष्ट ‘वेट-बल्ब तापमान’ परिघटना जन्म लेती है। विश्व आर्थिक मंच ने चेताया है कि ग्लोबल वार्मिंग ‘वेट-बल्ब तापमान’ 35 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर पहुंचने की राह पर है। यह वह स्थिति है, जिसमें इन्सान पसीने के जरिए सुरक्षित शारीरिक तापमान बनाये नहीं रख सकते।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर कम करने के लिए प्रणालियों को सतर्क होना होगा, लेकिन इस अंतराल के दौरान तैयारी करना भी बुद्धिमानी होगी। लू पीड़ितों को राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) से राहत प्रदान करने के तमिलनाडु सरकार के कदम में व्यापक गतिविधियां शामिल होंगी, जैसे – गर्मी के चलते मरने वालों के परिजनों को अनुग्रह राशि; ओआरएस की आपूर्ति समेत, स्वास्थ्य देखभाल और पीने के पानी का प्रावधान, और काम के घंटों के समय में बदलाव। यह राज्य और उसके सर्वाधिक जोखिम वाले लोगों को सबसे बुरी स्थिति के लिए कम-से-कम तैयार तो बनायेगा। इस मॉडल से प्रेरित होना अन्य राज्यों के लिए भी अच्छा रहेगा।

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