ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल ही में चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला को 2-1 के अंतर से अपने नाम करने के साथ रोहित शर्मा की टीम ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा बरकरार रखते हुए क्रिकेट के अपने घरेलू मैदान पर भारत के अजेय फॉर्म को दोहराया। लेकिन असली जोर-आजमाइश 7 जून से लंदन के ओवल में होने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल में जगह बनाने की थी। इसके लिए दो टेस्ट मैचों में जीत का साफ अंतर जरूरी था। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम ने जहां इंदौर में जीत हासिल करके इस अंतर को कम कर दिया, वहीं अहमदाबाद की सपाट पिच ने अपरिहार्य रूप से रनों के अंबार से भरे एक बिना हार-जीत वाले मुकाबले की ओर इशारा किया। एक अन्य दावेदार श्रीलंका के पास भी फाइनल में जगह बनाने का एक मौका था, जबकि ऑस्ट्रेलियाई टीम पहले ही अपनी जगह पक्की कर चुकी थी। भारत के लिए यह शुक्र रहा कि केन विलियमसन की एक यादगार पारी ने न्यूजीलैंड को क्राइस्टचर्च में श्रीलंका के खिलाफ आखिरी गेंद पर रोमांचक जीत हासिल करने में मदद की। श्रीलंका की हार भारत के लिए एक स्वागत योग्य बोनस साबित हुई। भारत ने अहमदाबाद टेस्ट के अनिर्णीत रह जाने के बावजूद फाइनल में पहुंचने का मौका पा लिया। साउथम्प्टन में 2021 के फाइनल में न्यूजीलैंड से हारने के बाद, इस मर्तबा भारत की जद्दोजहद पहले फाइनल में जगह बनाने और फिर मुंबई के बीसीसीआई के दफ्तर की अलमारी में आईसीसी के इस खिताब की कमी को दूर करने की है। भारत ने आखिरी बार 2013 में बर्मिंघम में चैंपियंस ट्रॉफी के रूप में आईसीसी की कोई चैंपियनशिप जीती थी। इसके बाद सफेद जर्सी वाले टेस्ट और नीली जर्सी वाले एकदिवसीय मैचों, दोनों ही में भारत नॉकआउट दौर में नाकामयाब रहा है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली जीत से बेशक भारतीय टीम के हौसले बुलंद होंगे, लेकिन जब डब्ल्यूटीसी के खिताबी मुकाबले में दोनों प्रतिद्वंद्वी टीमें एक तटस्थ मैदान पर आमने-सामने होंगी तो वहां विशेष रूप से तैयार की गई स्पिन गेंदबाजी के लिए मुफीद कोई घुमावदार सतह उपलब्ध नहीं होगी। तीन दिनों के भीतर ही खत्म हो जाने वाले टेस्ट मैच और पहली ही गेंद से टूट जाने वाले पिच क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। पांच दिनों तक चले खेल के साथ अहमदाबाद टेस्ट इसका अपवाद रहा। लेकिन जब भारतीय टीम विदेश दौरे पर जाती है, तो तेज गेंदबाजी का ही बोलबाला रहता है। अब जबकि तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह
एक सर्जरी से उबरने की प्रक्रिया में हैं, भारतीय टीम के सामने कुछ चिंताएं हैं और उमेश यादव के अलावा दो मोहम्मद - शमी और सिराज - को तेज आक्रमण का भार उठाना होगा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ताजा श्रृंखला के दौरान रोहित, विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा के अपने रंग में वापस आ जाने और शुभमन गिल के अच्छे फॉर्म में दिखाई देने के बाद उम्मीद है कि ये सभी बल्लेबाज ओवल में अपना जलवा बिखेरने में कामयाब होंगे। अश्विन और रवींद्र जडेजा ने विकेटों की झड़ी लगा दी थी और अब यह देखना बाकी है कि भारत डब्ल्यूटीसी के फाइनल में इन दोनों को मैदान में उतारेगा या इनमें से कोई एक ही अपना जौहर दिखाएगा। एक छुपा हुआ सिरदर्द यह है कि रोहित, कोहली, पुजारा, अश्विन और जडेजा का कोर समूह अब तीस साल से ऊपर का हो चला है और बदलाव अपरिहार्य है। लेकिन इन सबके पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला होनी है और इसके बाद इंडियन प्रीमियर लीग है। भारतीय टीम जून में इंग्लैंड के लिए उड़ान भरेगी।
This editorial has been translated from English, which can be read here.
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