मिले - जुले संकेत: ‘मैक्रो-इकोनॉमिक’ आंकड़ों का सवाल

‘मैन्यूफैक्चरिंग’ में तेजी आई है, लेकिन महंगाई अब भी चिंता का सबब है

January 05, 2023 10:56 am | Updated 10:56 am IST

नवंबर माह के आठ प्रमुख उद्योगों के आधिकारिक सूचकांक और दिसंबर माह के ‘मैन्यूफैक्चरिंग’ एवं सेवा क्षेत्रों के एस एंड पी ग्लोबल के सर्वेक्षण-आधारित क्रय प्रबंधकों के सूचकांक (पीएमआई) सहित हालिया वृहत आर्थिक (मैक्रो-इकोनॉमिक) आंकड़े, अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित रफ्तार के बारे में मिले - जुले संकेत देते हैं। सरकार के अंतरिम आंकड़े यह बताते हैं कि कोयले से लेकर बिजली तक फैले प्रमुख उद्योगों में उत्पादन नवंबर माह में साल-दर-साल के आधार पर औसतन 5.4 फीसदी बढ़ा। सीमेंट, कोयला, बिजली और स्टील के क्षेत्र में दहाई अंकों की वृद्धि ने सूचकांक को ऊपर चढ़ा दिया। हालांकि, क्रमिक आधार पर, बिजली और रिफाइनरी उत्पादों के बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्रों सहित आठ में से छह क्षेत्रों, जो एक साथ मिलकर लगभग आधे सूचकांक की नुमाईंदगी करते हैं, में आए संकुचन ने औसत मूलभूत उत्पादन को ज्यों का त्यों बनाए रखा। बिजली उत्पादन जहां अक्टूबर माह के मुकाबले 2.1 फीसदी कम हुआ, वहीं रिफाइनरी उत्पादों में क्रमिक रूप से 3.1 फीसदी की कमी आई। सिर्फ कोयले और सीमेंट के उत्पादन में साल-दर-साल और महीने-दर-महीने, दोनों, आधार पर हुई बढ़ोतरी यह संकेत देती है कि कोयले और निर्माण गतिविधि की गैर-उर्जा मांग में तीसरी वित्तीय तिमाही के दौरान थोड़ा इजाफा होना शुरू हो गया है। सीमेंट में तेजी का रुझान उत्साहजनक है क्योंकि इस प्रमुख निर्माण सामग्री की खपत गहन रोजगार प्रदान करने वाले आवास एवं बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों तक फैली हुई है और अगर यह रूख आगे भी बरकरार रहा, तो व्यापक आर्थिक रफ्तार को मजबूती देने में मदद मिल सकती है। कोयला उत्पादन में 12.3 फीसदी की सालाना और 15.1 फीसदी की क्रमिक बढ़ोतरी भी एक सकारात्मक सगुन है क्योंकि यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया और धातु बनाने वाले उद्योगों में कैप्टिव बिजली संयंत्रों और भट्टियों को चालू करने के लिए ईंधन की उपलब्धता में सुधार का संकेत देता है।

उधर, दिसंबर माह के पीएमआई के बिल्कुल ताजे आंकड़े यह दिखाते हैं कि ‘मैन्यूफैक्चरिंग’ के क्षेत्र में रफ्तार काफी हद तक मजबूत हुई है क्योंकि इससे जुड़े व्यवसायों ने फरवरी 2021 के बाद से नए ऑर्डर पाने के मामले में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है। लगभग 400 निर्माताओं पर किए गए क्रय प्रबंधकों के निजी सर्वेक्षण ने यह संकेत दिया कि इन फर्मों में औसत उत्पादन

वृद्धि पिछले महीने 13 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई और 57.8 की पीएमआई रीडिंग अक्टूबर 2020 के बाद से इस क्षेत्र में सबसे मजबूत बढ़ोतरी की ओर इशारा करती है। विभिन्न वस्तुओं के उत्पादकों ने अपने ऑर्डर के बैकलॉग को पूरा करने में मदद करने के लिए अपने कार्मिकों की संख्या बढ़ा दी। सितंबर के बाद से भले ही नौकरियों में वृद्धि सबसे धीमी रही, लेकिन ‘मैन्यूफैक्चरिंग’ के पूरे क्षेत्र में रोजगार लगातार दसवें महीने बढ़ा जोकि निर्माताओं के बीच बढ़े हुए आशावाद को दर्शाता है। पीएमआई सर्वेक्षण से यह पता चलता है कि समग्र उत्पादन से निजी क्षेत्र में आई मुद्रास्फीति तेज हो गई है। निर्माताओं ने लगभग ढाई साल में पहली बार इनपुट लागत में मिलने वाले लाभ की तुलना में विक्रय मूल्य में मुद्रास्फीति की सूचना दी है। लिहाजा हमारे नीति निर्माता इस मुकाम पर मुद्रास्फीति पर अपनी लगाम को ढीली छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते।

This editorial has been translated from English, which can be read here.

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