हाल ही में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के उपराज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच चल रही आमने-सामने की तनातनी में एक नई पृष्ठभूमि जोड़ दी है। वैसे तो भारतीय जनता पार्टी की राजनीति को आगे बढ़ाने को बेहद उत्सुक कई राज्यपाल विपक्षी दलों के निर्वाचित मुख्यमंत्रियों से टकराव मोल ले रहे हैं, लेकिन उपराज्यपाल को हासिल व्यापक कार्यकारी शक्ति के मद्देनजर दिल्ली का मामला अनूठा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना के बीच सबसे ताजा टकराव 6 जनवरी को एमसीडी के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव से पहले हुआ, जब श्री सक्सेना ने 10 एल्डरमैन और इन चुनावों की अध्यक्षता करने के लिए एक बीजेपी पार्षद को नियुक्त किया। आप ने आरोप लगाया कि श्री सक्सेना ने सबसे वरिष्ठ पार्षद को पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने की परंपरा को दरकिनार कर दिया। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया गया है कि एमसीडी अधिनियम का उल्लंघन करते हुए श्री सक्सेना द्वारा नियुक्त एल्डरमैन को मतदान का अधिकार दिया गया। यह एक ऐसा सवाल है जिसको लेकर प्रावधान स्पष्ट नहीं है। पार्टी ने इंगित किया है कि उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की अनदेखी कर रहे हैं और सभी मामलों में सीधे नौकरशाही को आदेश जारी कर रहे हैं, भले ही दोनों संस्थाओं के बीच शक्ति का बंटवारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया गया हो।
तकनीकी रूप से, लेफ्टिनेंट गवर्नर का पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के केवल तीन आरक्षित विषयों पर कार्यकारी नियंत्रण होता है। अन्य सभी विषय (हस्तांतरित विषय) निर्वाचित सरकार के पास होते हैं। लेकिन नौकरशाही पर नियंत्रण होने और दिल्ली सरकार के किसी भी कर्मचारी को स्थानांतरित करने, निलंबित करने या उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की शक्ति हासिल होने की वजह से उपराज्यपाल का नियंत्रण इन निर्धारित विषयों से परे तक फैला हुआ है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट के पहले के हस्तक्षेपों से उपराज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच विवाद थमा नहीं है, लिहाजा शीर्ष अदालत वर्तमान में नए सिरे से इस मुद्दे की पड़ताल कर रही है। इस बीच, मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच संबंधों में और अधिक गिरावट आती जा रही
है। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा जाहिर की, लेकिन फिर उन्हें समय देने से मना कर दिया। अक्टूबर तक, उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच साप्ताहिक बैठकें होती थीं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा संबंधित पक्षों से राजनीतिक कुशलता और विवेक का परिचय देने का आह्वान भी इस गतिरोध को खत्म नहीं कर सका है, जो राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक कामकाज को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। आप और भाजपा के बीच बढ़ी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है, लेकिन इसकी जड़ में कानूनी अस्पष्टता है जिसे दूर करने की जरूरत है।
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Published - January 13, 2023 11:44 am IST