अल्पकालिक राहत: रूस का यूक्रेन में रूढ़िवादी क्रिसमस संघर्ष विराम

रूस द्वारा अस्थायी युद्धविराम का ऐलान स्थायी समाधान का आधार बनना चाहिए

January 07, 2023 11:55 am | Updated 11:55 am IST

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यूक्रेन में अग्रिम मोर्चे पर 36 घंटे का संघर्ष विराम रखने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब उनके सैनिक युद्ध के मैदान में कई असफलताओं और हताहतों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए जूझ रहे हैं। क्रेमलिन का पक्ष यह है कि उसने शुक्रवार दोपहर से शनिवार मध्यरात्रि तक युद्धविराम का आदेश इसलिए दिया क्योंकि दोनों देशों में रूढ़िवादी ईसाई 7 जनवरी को क्रिसमस मनाते हैं। उधर, यूक्रेन ने रूस की ईमानदारी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्रेमलिन लड़ाई में इस विराम का इस्तेमाल अपनी फौज को फिर से एकजुट करके उन्हें तैयार करने तथा संपर्क रेखा पर और अधिक तादाद में सैनिकों को भेजने में करेगा। फिर भी अगर दोनों पक्षों द्वारा इसका पालन किया जाता है, तो पिछले साल 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद से यह पूरे अग्रिम मोर्चे पर पहला युद्धविराम होगा। श्री पुतिन का यह कदम शांति के किसी गंभीर प्रयास के बजाय कमजोरी का एक संकेत अधिक मालूम होता है। नए साल वाले दिन, रूस को उस वक्त अपने कम से कम 89 सैनिकों को खोना पड़ा जब यूक्रेन ने पूर्वी शहर मकीवका को निशाना बनाया जहां सैकड़ों की तादाद में सैनिक अस्थायी रूप से तैनात थे। यूक्रेन का कहना है कि छह महीने से हमला झेल रहे पूर्वी शहर बखमुत में उसके सैनिकों ने रूसियों को पीछे खदेड़ दिया।

युद्ध के शुरुआती दौर में कुछ इलाकों पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल करने वाला रूस यूक्रेन द्वारा अगस्त के अंत में जवाबी हमला शुरू किए जाने के बाद से युद्ध के मैदान में अपनी रफ्तार बनाए रखने के लिए जूझ रहा है। खासतौर पर, पश्चिमी मुल्कों द्वारा सामूहिक रूप से यूक्रेन को हथियारों से लैस और सीधा समर्थन किए जाने के बाद। यूक्रेन ने उत्तर-पूर्व में खार्किव ओब्लास्ट और दक्षिण में खेरसॉन शहर समेत कई इलाकों को रूस से वापस छीन लिया है। युद्ध के मैदान में कई असफलताओं का सामना करने के बाद, युद्ध के नए रूसी कमांडर जनरल सर्गेई सुरोविकिन ने अपनी रणनीति बदली। उन्होंने दोबारा दोनेत्स्क की तरफ से हमला बोलने पर अपना ध्यान केन्द्रित किया, विशाल अग्रिम मोर्चे पर मजबूत रक्षा पंक्ति बनाना शुरू किया और यूक्रेन की ऊर्जा से संबंधित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाते हुए भारी बमबारी का आगाज किया। हवाई हमलों ने भले ही यूक्रेन के ऊर्जा ग्रिड को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया है और लाखों लोगों को बिजली तथा पानी की आपूर्ति से महरूम कर दिया है, लेकिन वे जमीनी हकीकत को बदलने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। अगर यूक्रेन सर्दी के दौरान खुद को बचाए रख लेता है, तो लड़ाई तेज हो सकती है। अमेरिका और जर्मनी ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वे यूक्रेन को पैट्रियट मिसाइल प्रणाली भेजेंगे। अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी भी भविष्य में होने वाली जमीनी लड़ाई के लिए कीव को बेहतर ढंग से लैस करने के लिए बख्तरबंद गाड़ियां भेजेंगे। युद्ध के रंगमंच पर बुरी तरह घिरे, श्री पुतिन संघर्ष को तेज करने के लिए ज्यादा दबाव में आ सकते हैं। लेकिन इस युद्ध को जारी रखना सभी पक्षों के लिए महंगा पड़ेगा। अगर यह संघर्ष विराम 36 घंटों तक बरकरार रहता है, तो श्री पुतिन को इसे और आगे बढ़ाना चाहिए और बिना किसी पूर्व शर्त के, यूक्रेन और उसके पश्चिम के समर्थकों के साथ बातचीत करनी चाहिए। इस अस्थायी संघर्षविराम से एक स्थायी विराम की शुरुआत होनी चाहिए।

This editorial has been translated from English, which can be read here.

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