दिग्गज खिलाड़ी कई बार अपनी उंगलियों पर खेल को नचाते हैं। रविवार की रात दोहा के लुसैल स्टेडियम में छा जाने और अर्जेंटीना को फीफा विश्वकप दिलाने की बारी, लियोनेल मेसी की थी। इस फाइनल मुकाबले को जमाने तक याद रखा जाएगा। गोल में पिछड़ने के बावजूद, फ्रांस ने खेल में दो बार इसकी भरपाई कर ली और 3-3 की बराबरी हासिल की, लेकिन आखिर में मिली पेनल्टी की बदौलत अर्जेंटीना ने 4-2 से फतह हासिल की। जीवन के 35 वसंत और पिछले चार विश्वकप में सपनों को टूटता देख चुके मेसी को इस फाइनल ने यह मौका दिया कि वह विश्वकप को अपने कंधों पर उठाए, जिसे इससे पहले 1986 के मेक्सिको संस्करण में अर्जेंटीना के लिए महान डियेगो मैराडोना ने उठाया था। पूरे देश की उम्मीदें, दुनिया भर की निगाहें और सबसे बड़ी ट्रॉफी के लिए तरस रहे टीम के खिलाड़ियों की सारी हसरत, मेसी के जादुई पैरों पर टिकी हुई थी। टीम-गेम में किसी एक खिलाड़ी का महानता के शिखर तक पहुंचना वाकई मुश्किल काम है। टीम गेम में तालमेल, साझी इच्छा और कौशल के समान बंटवारे की जरूरत होती है। एफसी बार्सिलोना के लिए खेलते हुए मेसी ने खूब कामयाबी पाई, उन्होंने चार चैंपियंस लीग खिताब जीते, सात बैलां डी’ओर सम्मान जीते और अर्जेंटीना के लिए कोपा अमेरिका फतह की, लेकिन इस रविवार को किलियन एमबापे के दम पर मजबूत प्रदर्शन कर रहे दमदार प्रतिद्वंद्वी फ्रांस को शिकस्त देने से पहले तक, मेसी के लिए विश्वकप एक सपना ही था। सऊदी अरब के हाथों अपना पहला मैच हारने के बावजूद, इस विश्वकप में अर्जेंटीना ने मेसी के शरीर में बिजली की फुर्ती देखी।
कप्तान ने कमान संभाल रखी थी। खुद तो गोल दाग ही रहा था, लेकिन दूसरों के लिए ऐसी व्यूह रचना करता था, जो जादुई यथार्थ में डूबा दिखता था। नीदरलैंड्स के खिलाफ नाहुएल मोलिना को दिया गया पास और जिस तरह से उन्होंने जूलियन अल्वारेज़ को सेट अप करने बाद क्रोएशियाई डिफेंडर जोस्को ग्वार्दिओल को एक डमी से चकमा दिया, वह हैरतअंगेज था। इससे विरोधी टीम सकते में आ गई और अर्जेंटीना टीम के खिलाड़ी तमन्नाओं की उड़ान भरने लगे। फाइनल में, मेसी अपने साथी स्ट्राइकर को तेजी से क्रॉस देने से पहले डिफेंडर को चकमा देते रहे। पिछले मैचों में जो करतब अल्वारेज ने दिखाई थी, उसी तरह डि मारिया ने फाइनल में गोल को बेध दिया। इस मैच को अर्जेंटीना के दबदबे के लिए याद किया जाए, लेकिन फ्रांस ने जिस तरह वापसी की उसका श्रेय उसे मिलना चाहिए। पेरिस सेंट-जर्मेन एफसी खेलने निकल पड़े एमबापे और मेसी ने उम्मीद के मुताबिक, खेल को अपने पैरों पर नचाया। दो साल पहले गुजरे मैराडोना और बीमार पेले को मेसी और एमबापे के रुप में आदर्श उत्तराधिकारी मिला है। अफ्रीकी और एशियाई देशों के कारनामों के लिए याद किए जाने वाले इस विश्वकप में कभी भी उलटफेर हो जा रहा था, लेकिन अर्जंटीना और फ्रांस ने दिखाया कि फुटबॉल पर दबदबा रखने वाली टीमें लचीलेपन और पैरों के जादू से फतह हासिल कर सकती है। वही जादू, जो मेसी और एमबापे के जूतों से दिखा।
This editorial has been translated from English, which can be read here.
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