दिसंबर 2022 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का प्रवाह नवंबर माह से अर्थव्यवस्था में एक किस्म की बेहतरी का संकेत देता है। खासकर, उस स्थिति में जब राजस्व तीन महीने के निचले स्तर पर लुढ़क गया था। दिसंबर माह का राजस्व नवंबर माह की तुलना में 2.5 फीसदी ज्यादा रहा और यह साल-दर-साल आधार पर 15.2 फीसदी की बढ़ोतरी को दर्शाता है। दिसंबर में 1,49,507 करोड़ रुपये जीएसटी संग्रह जहां जुलाई 2017 में इस अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की शुरुआत के बाद से तीसरा सबसे अधिक आंकड़ा है, वहीं यह पिछले रिकॉर्ड के मुकाबले कहीं ज्यादा उल्लेखनीय भी है। सबसे पहले, चूंकि ये कर नवंबर में की गई आर्थिक गतिविधियों से जुड़े हैं, उनसे इस बात का पुख्ता संकेत मिलता है कि कारखाने और सेवा प्रदाता अक्टूबर माह की बनिस्बत ज्यादा व्यस्त रहे और उपभोक्ता त्योहार के बाद की थकान से बहुत कम प्रभावित हुए। दूसरी बात, दो अन्य मौकों पर जब जीएसटी राजस्व अधिक रहा था - अप्रैल 2022 में 1.67 लाख करोड़ रुपये और अक्टूबर में लगभग 1.52 लाख करोड़ रुपये- राजस्व संग्रह के आंकड़ों में बढ़ोतरी क्रमशः करदाताओं के वित्तीय वर्ष के अंत में सुलह और त्योहार के पहले के खर्च या भंडारण (स्टॉकिंग) की वजह से हुई थी। जबकि दिसंबर में ऐसा कुछ नहीं था। यह तर्क कि उच्च मुद्रास्फीति की वजह से इन आंकड़ों में मजबूती आई, सिर्फ आंशिक रूप से ही मान्य है। नवंबर में हेडलाइन मुद्रास्फीति 11 महीने के निचले स्तर 5.9 फीसदी पर आ गई, सेवाओं की मुद्रास्फीति क्रमिक रूप से सपाट रही और वस्तुओं की मुद्रास्फीति 6.2 फीसदी थी, जो ज्यादा तो है लेकिन पिछले महीनों के मुकाबले बहुत कम है। लिहाजा, मुद्रास्फीति ने भले ही राजस्व में बढ़ोतरी की है लेकिन इसने दिसंबर में उतनी ज्यादा भूमिका नहीं निभाई, जितनी इसने पहले के महीनों में उस वक्त निभाई थी जब महंगाई बेतहाशा थी।
अब तक की जानकारी के हिसाब से आठ प्रमुख क्षेत्रों ने नवंबर में 5.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की, जोकि अक्टूबर में महज 0.9 फीसदी थी और उस वक्त औद्योगिक उत्पादन में चार फीसदी की खतरनाक गिरावट आई थी। नवंबर के औद्योगिक उत्पादन के स्तर की जानकारी तो इस महीने के अंत में ही मिलेगी, लेकिन जीएसटी राजस्व इस बात का संकेत देता है कि वस्तुओं और सेवाओं, दोनों, की मांग में बढ़ोतरी हुई है। अब जबकि नॉर्थ ब्लॉक में बैठे नीति निर्माता केंद्रीय बजट को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं, जीएसटी के मोर्चे पर ताजा उपलब्धि से आने वाले साल के लिए राजकोषीय राह और राजस्व आकांक्षाओं को तय करने में कुछ उम्मीद बंधनी चाहिए। न सिर्फ 10 लगातार महीनों में जीएसटी संग्रह 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का रहा है, बल्कि दिसंबर के बेहतर प्रवाह ने 2022-23 के औसत मासिक उपभोग को बढ़ाकर 1.49 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया है। लेकिन संतुष्ट होने की बहुत कम गुंजाइश है क्योंकि विपरीत वैश्विक परिस्थितियों की वजह से आर्थिक गतिविधियों में कोई भी ढिलाई राजस्व को भी नीचे ला सकती है। जीएसटी परिषद, जिसने लंबे अंतराल के बाद पिछले महीने एक संक्षिप्त बैठक तो की थी लेकिन महत्वपूर्ण सुधारों को लटका हुआ ही छोड़ दिया था, को न सिर्फ राजस्व प्रवाह को बनाए रखने में मदद करने बल्कि वर्तमान में बाहर रह गए सभी वस्तुओं को ‘एक राष्ट्र, एक कर’ के दायरे में लाते हुए एक तर्कसंगत दर संरचना के जरिए अधिक राजस्व का लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य से भी बजट के तुरंत बाद एक बैठक करनी चाहिए।
This editorial has been translated from English, which can be read here.
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