हाल के इतिहास में शायद ही किसी पुरुष खिलाड़ी ने नोवाक जोकोविच के जैसे, दर्द और निराशा को जीत के लिए प्रेरणा की तरह इस्तेमाल करना सीखा होगा। साल भर पहले, सर्बिया के इस खिलाड़ी को वैक्सीन पर भरोसा नहीं था और वैक्सीन नहीं लगाने की वजह से लगातार तीन बार से ट्रॉफी जीत रहे जोकोविच को ऑस्ट्रलिया नहीं आने दिया गया। रविवार को उन्होंने उन सब कड़वी यादों को भुलाते हुए अपने रिकॉर्ड को नए मुकाम पर पहुंचाया और (ओपन युग में) ऑस्ट्रेलियन ओपन का दसवां एकल खिताब जीतते हुए नई मिसाल काम की। ग्रीस के स्टेफनॉस सित्सिपास को सीधे सेटों में शिकस्त देकर जोकोविच ने पुरुष वर्ग में सबसे ज्यादा 22 मेजर ट्रॉफी जीतने के राफेल नडाल के रिकॉर्ड की भी बराबरी की। इस जीत ने जोकोविच के लिए गुजरे एक मुश्किल साल के अध्याय को बंद कर दिया। वर्ष 2022 में उन्हें चार में से दो ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट और आठ में से चार एटीपी मास्टर्स 1000 में हिस्सा लेने नहीं दिया गया और विंबलडन जीतने के बावजूद उन्हें कोई अंक नहीं मिला। फिर भी, साल का समापन उन्होंने टॉप-5 में किया और सबसे ज्यादा पांच खिताब जीतकर (कार्लोस अल्कारेज के साथ) वह संयुक्त रूप से सबसे आगे रहे। इस महीने की शुरुआत में ऐडिलेड इंटरनेशनल और उसके बाद मेलबर्न में मिली कामयाबी ने उन्हें वहां पहुंचाया, जो उनकी नैसर्गिक जगह लगती है- रिकॉर्ड 374वें हफ्ते एटीपी रैंकिंग के शिखर पर। अपने जीवन के 36 साल पूरा करने से बमुश्किल चार महीने दूर जोकोविच, उम्र के ऐसे पड़ाव पर पहुंच गए हैं जहां जबर्दस्त इच्छाशक्ति के बावजूद किसी भी एथलीट की शारीरिक शक्ति ढलान पर पहुंच जाती है। नडाल के मामले में तो यह बात सच लगती है, लेकिन जोकोविच की अपराजेयता अभी अक्षुण्ण दिख रही है।
महिला वर्ग में आर्यना सबालेंका ने जबर्दस्त टेनिस खेली। उन्होंने वरीयता में खुद से ऊपर विबंडलन चैंपियन कजाकिस्तान की इलेना रबाकिना को हराकर अपना पहला मेजर खिताब जीता। वर्ष 2021 में जब वह विंबलडन और यूएस ओपन के अंतिम चार में पहुंची, तो लग गया था कि वह अगली बड़ी खिलाड़ी हो सकती हैं। साल का खात्मा नंबर 2 रैंक पर करने के बाद, ताकत से भरे शॉट खेलने वाली बेलारूस की इस खिलाड़ी को बीते 12 महीनों में रूस-यूक्रेन युद्ध के साये तले खेलना पड़ा है और उन्हें निष्पक्ष एथलीट के तौर पर प्रतियोगिताओं में हिस्सेदारी लेनी पड़ी है। यह 24 वर्षीय इस खिलाड़ी की जिजीविषा ही थी कि उन्होंने अपने शानदार लय को इन सबके बावजूद भी पटरी से उतरने नहीं दिया और विक्टोरिया अजारेंका के बाद अपने देश के लिए मेजर खिताब जीतने वाली दूसरी खिलाड़ी बन गई। अजारेंका ने भी इस प्रतियोगिता में बेहतरीन खेल दिखाया, लेकिन सेमीफाइनल में रवाका के हाथों में उन्हें शिकस्त मिली। अपने अंतिम ग्रैंड स्लैम में खेल रही सानिया मिर्जा ने भी बेहतरीन खेल दिखाते हुए पूरे भारत को एक पैर पर खड़ा कर दिया था, लेकिन रोहन बोपन्ना के साथ मिश्रित युगल के फाइनल में उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा और इस तरह अपने छठे ग्रैंड स्लैम का खिताब जीतने से वह चूक गईं। लेकिन अगले महीने होने वाली डब्लूटीए दुबाई 1000 प्रतियोगिता में संन्यास का ऐलान कर चुकी 36 वर्षीय इस खिलाड़ी को भारत के महानतम खिलाड़ियों में गिना जाएगा। उन्होंने एक बेखौफ प्रतियोगी के तौर पर कोर्ट और कोर्ट से बाहर, दोनों जगह पर एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया।
This editorial has been translated from English, which can be read here.