भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अगले आम चुनाव के लिए अपनी राह का खुलासा किया है। कार्यकारिणी ने पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल भी जून 2024 तक बढ़ा दिया है। उनकी अध्यक्षता में, उनके गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में हालिया शिकस्त के बावजूद, पार्टी का चुनावी प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा है। श्री नड्डा ने अपने कार्यकाल के विस्तार को ‘सौभाग्य और सम्मान’ और ‘भारी जिम्मेदारी’ करार दिया है। भाजपा में अध्यक्ष की शक्ति उस पद पर बैठने वाले शख्स पर निर्भर करती है। श्री नड्डा अपनी ताकत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के भरोसे की बदौलत अर्जित करते हैं, जो अंतिम निर्णयकर्ता हैं। पार्टी के लिए यह अनोखा नहीं है- ए.बी. वाजपेयी और एल.के. आडवाणी भी पार्टी अध्यक्षों से ज्यादा ताकतवर थे। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से 2023 में होने वाले सभी नौ विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया है। भाजपा त्रिपुरा में अपने बूते और नागालैंड एवं मेघालय में गठबंधन के हिस्से के रूप में सत्ता में है। बुधवार को इन तीन राज्यों के लिए चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा की गई। पार्टी तेलंगाना में पहली बार सत्ता के एक गंभीर दावेदार के रूप में उभरने, कर्नाटक एवं मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में सत्ता बरकरार रखने और राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में फिर से सत्ता हासिल करने की कोशिश भी कर रही है। केंद्र - शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में भी 2023 में पहला चुनाव होने की संभावना है, जहां भाजपा एक नए किस्म की राजनीति का प्रयोग कर रही है।
भाजपा ने कहा है कि वह “संतृप्ति की राजनीति और संतृप्ति के शासन” पर अमल करती है – शायद उसका इशारा विभिन्न वर्गों को लक्षित सरकारी योजनाओं के इर्द-गिर्द घूमने वाले अथक अभियानों की ओर है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में, पार्टी ने उल्लास के साथ यह दर्ज किया कि विमुद्रीकरण से लेकर वस्तु एवं सेवा कर तक और राफेल रक्षा सौदे से लेकर पेगासस जासूसी जैसे विवादों और गलत कदमों की एक श्रृंखला ने पार्टी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। उसने कहा कि ये सभी विपक्ष द्वारा मोदी सरकार को बदनाम करने के विफल प्रयास थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए भाजपा के खिलाफ एक नई राजनीति खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष की राजनीति भ्रम और प्रतिद्वंद्विता में फंसी हुई है। भाजपा साफतौर पर श्री मोदी की लगातार लोकप्रियता के भरोसे अन्य चुनावों के अलावा 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बार भी फतह हासिल करना चाहती है। लोगों की लामबंदी के लिए भी पार्टी की एक स्पष्ट रणनीति है। श्री नड्डा ने अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजाति और दलित समुदायों तक पार्टी के लगातार पहुंचने पर जोर दिया। परंपरागत रूप से उंची जातियों के वर्चस्व वाली एक पार्टी, भाजपा ने अन्य वर्गों में गहरी पैठ बनाई है। पार्टी अपने विस्तार के लिए पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे नए इलाकों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। सफलता ने भाजपा को लापरवाह नहीं बनाया है।
This editorial was translated from English, which can be read here.
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